वस्तुतः भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन, भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग रहा है। भारत भूमि के लिए जितनी भक्ति और मातृ-भावना उस युग में थी उतनी कभी नहीं रही। मातृभूमि की सेवा और उस पर मर-मिटने की जो भावना उस समय थी आज उसका नितान्त आभाव दिखाई देता है। भारत में समाज सुधारकों ने बिना किसी पूर्वाग्रह के बेहतर राष्ट्र के निर्माण की दिशा में काम किया। कई दशक आते और जाते हैं परंतु जो रह जाते हैं वह है महान समाज सेवक के महान कार्य। इन महान व्यक्तियों ने समाज के लिए अविश्वसनीय कार्य किए जिससे समाज में एक सुन्दर, शांत, मानवीय का वातावरण निर्माण हुआ। जब हम किसी नदी के विशाल स्वरुप को देखते हैं तो उसके इस रूप को जानने की इच्छा हमारे मन में बलवती हो उठती है। उसी तरह आज संघ की चर्चा सर्वत्र है। परंतु संघ को जानना है तो पहले संघ के विशाल वट वृक्ष के नीचे के मजबूत जड़ को जानना आवश्यक है। अर्थात संघ मंत्र के उदगाता डॉ. हेडगेवार को जानना हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण है। केशव राव हेडगेवार बचपन से ही देश भक्ति और देश प्रेम की वीर गाथाओं से प्रेरित थे। उनके मन में देश के प्रति अगाध प्रेम और सम्मान शुरू से ही था। इसीलिए आज देश की आजादी के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने वालों में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हिन्दू जागरण और हिन्दू समाज के संगठनकर्ता के रूप में डॉ. हेडगेवार ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की, जो आज विश्व भर में ख्याति लब्ध है। आज संघ के लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक देश, काल और परिस्थिति के अनुसार अपनी सेवाएं राष्ट्र को दे रहे हैं। छोटे से पौधे समान देशभक्तों की एकजुटता को निरंतर सिंचित करते हुए डॉ. हेडगेवार जी ने वटवृक्ष रूपी यह विशाल संघ शाखा का निर्माण किया है जो आज सर्वत्र व्याप्त है। तो आइए जानते हैं महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार की पूरी जीवनगाथा सिर्फ booksinvoice.com पर।