Nagpur/नागपुर/आज यम द्वितीया (भाई दूज).. यमराज ने अपनी बहिन यमुना (दोनों सूर्य और संज्ञा की संतानें) के यहाँ वर्षों बाद भोजन किया और यमुना ने इस मिलन को अमर बनाने के लिए अपने भाई से अपनी रक्षा के वरदान के साथ यह भी माँगा कि "आज के दिन जो भी भाई अपनी बहिन के यहाँ प्रवास कर भोजन प्रसाद ग्रहण करेगा और रक्षा का वचन देगा...यमराज सदैव उन भाई बहिनों की रक्षा करेंगे और उनको नर्क नहीं ले जायेंगे".. इस अवसर पर यदि यमुना में स्नान के बाद ये उपक्रम किया जाये तो उनको स्वर्ग प्राप्ति होगी.." यमराज ने स्वीकार किया और वचन दिया ".. यह तिथि ही यम द्वितीया (भाई दूज) के नाम से जानी जाती है.. तबसे ये प्रथा अमर हो गई।
द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने नरकासुर के वध के उपरांत आज उसी परंपरा को शिरोधार्य करते हुए अपनी बहिन सुभद्रा के बुलावे आज भाई दूज के दिन अनुष्ठान किया (यद्यपि श्रीकृष्ण की 3 बहनें थीं-
1. महामाया (यशोदा से जिसे कंस ने मारने की कोशिश की पर वो छूट गयीं और कंस को ये बताकर उसके काल ने जन्म ले लिया है अंतर्ध्यान हो गयीं।
2. एकांगा सदैव एकांत वासी रहीं
3. सुभद्रा, (रोहिणी से बलराम की सगी बहिन) धर्मराज ने सभी के कर्मों के लेखा जोखा के लिए ब्रम्हा जी से योग्य व्यक्ति की मांग की थी तब ब्रम्हा ने अपनी काया के स्वरुप के प्रतिफल में कायस्थ चित्रगुप्त को अवतरित किया।
आज भगवान् कायस्थ चित्रगुप्त का अवतरण दिवस भी है।
साभार
डॉ. आनंद सिंह राणा
श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकोशल प्रांत।
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