अनित्यानि शरीराणि विभवो नैव शाश्वत:।
नित्यं सन्निहितो मृत्यु: कर्तव्यो धर्मसंग्रहः।
यह शरीर हमेशा के लिए नहीं रहता, धन एक स्थान पर नहीं रहता, मृत्यु हमेशा मंडराती रहती है। इसलिए, सभी को धार्मिक रूप से रहना चाहिए और अच्छे कर्मों में संलग्न होना चाहिए।