- यहां हर जवान की अपनी कहानी दर्ज है, ऑनलाइन शहीद स्मारक
देश के 200 से ज्यादा युद्ध स्मारकों में शहीद के सिर्फ नाम रेजिमेंट और शहीद की तारीख दर्ज है, लेकिन कहानिया नही है।विंग कमांडर एम. ए. अफराज अक्सर उन्ही कहानियों की खोज में रहते थे। करगिर योद्धा के दौरान उन्होंने देखा की शहीद परिवारों की कहानियां बलिदान की गाथाएं मिडिया प्रमुखता से दिखा रहा है, लेकिन लोग तीसरे दिन ही उन्हें भुला देते है। विंग कमांडर अफराज का मानना था कि शाहीदो के नाम शायद इतने प्रेरणादायी न हो लेकिन उनकी कहानियां प्रेरणा दे सकती है। उन्होंने और उनकी टीम ने शहीदों का डाटा इकट्ठा किया और इन सभी जानकारी को एक वेबसाइड का रूप दिया। इसमें 1947 से लेकर अब तक शहीदों की कहानी है। यह 25 लाख से सुरु किया था और अब यह जल्द 3 भाषायों में सुरु होने वाला है। 59 वर्षीय विंग कमांडर अफराज 25 साल एअर फ़ोर्स में रहे इन्होंने यह सुन्दर काम किया है, और ऑनलाइन शहीद स्मारक की स्थापना की।