Nagpur/विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। 28 मई, 1883 को नासिक जिले के भगूर ग्राम में जन्मे विनायक सावरकर में देशभक्ति का जज्बा जन्मजात था। वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए। वहां उन्होंने ‘अभिनव भारत’ संस्था स्थापित की। 1907 में सावरकर ने ‘1857 का प्रथम स्वतंत्रता समर’ शीर्षक से मराठी में एक पुस्तक लिखी, जिसे अंग्रेजी सरकार ने प्रकाशित होने से पूर्व ही प्रतिबंधित कर दिया। इसके बावजूद पुस्तक के विभिन्न भाषाओं में गुप्त संस्करण छपे और देश-विदेश में क्रांतिकारियों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
वीर सावरकर के बारे में प्रमुख बातें-
- सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857 एक सनसनीखेज पुस्तक रही जो ब्रिटिश शासन को हिला दिया।
- सावरकर ने राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम दिया।
- दुनिया के वे ऐसे पहले कवि थे जिन्होंने अंडमान के एकांत कारावास में जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखीं ।
- याद की हुई 10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा।
- सावरकर दुनिया के अकेले स्वातंत्र्य-योद्धा थे जिन्हें 2-2 आजीवन कारावास की सजा मिली।
- सजा पूरा करने के बाद भी वे राष्ट्र जीवन में सक्रीय रहे।
- वीर सावरकर पहले भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
- अंग्रेज सरकार ने सावरकर की स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण वापस ले लिया।
- वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। फलस्वरूप उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया।
- वे ऐसे प्रथम राजनीतिक बंदी थे जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुंचा।
- वे विश्व के ऐसे पहले लेखक थे जिनकी कृति 1857 का प्रथम स्वतंत्रता को 2-2 देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया।
- कांग्रेसी नेता पीके अत्रे ने सावरकर को दी थी ‘वीर’ की उपाधि।
- कांग्रेसी नेता पीके अत्रे ने सावरकर को 1857 की क्रांति पर किताब लिखने के कारण ‘वीर’ नाम दिया था।
- अभिनव भारत के जरिए क्रातिकारी गतिविधियों के लिए गढ़ा नेटवर्क।