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Thursday, Nov 21, 2024,

National / Hot Issue / India / Haryana / Karnāl
भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान : 20वां दीक्षांत समारोह

By  AgcnneduNews...
Fri/Mar 15, 2024, 07:50 AM - IST   0    0
  • भारत के सतरंगी क्रांति पर चर्चा के अनुक्रम में किए गए कार्य का ही परिणाम है कि आज भारत वैश्विक औसत दुग्ध उपलब्धता से काफी आगे निकल आया है।
  • खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा का परिणाम है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक औसत जीवन आयु दोगुनी से अधिक हो गयी है।
Karnāl/

हारियाणा/भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान का 20वां दीक्षांत समारोह संस्थान के सभागार करनाल, हरियाणा में आज आयोजित किया गया। इस अवसर पर पदम भूषण डा. आर.एस. परोदा, पूर्व सचिव (डेयर) तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं टास के अध्यक्ष ने दीक्षांत भाषण दिया। 20वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर कुल 278 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें से 49 विद्यार्थियों को बी.टेक की डिग्री, 127 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर की डिग्री तथा 102 शोधकर्ताओं को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में संस्थान के निदेशक एवं कुलपति, मानद् विश्वविद्यालय, डा. धीर सिंह ने बताया कि, भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल उत्तम नस्ल के गोवंश एवं भैंसों को तैयार करने की दिशा में उन्नत कटिंग ऐज प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कार्य कर रहा है। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए उन्हें नौकरी के बजाय उद्यमी बनने की सलाह दी। डॉ सिंह ने कहा कि संस्थान मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते हुए बी.टेक (डेरी प्रौद्योगिकी) की डिग्री के साथ-साथ 14 विषयों में स्नातकोत्तर तथा 14 ही विषयों में पीएचडी की डिग्रियाँ विद्यार्थियों को प्रदान करता है। डा. सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि संस्थान ने अब तक 85 पेटेंट फाइल किए गए हैं जिसमें से उसे 49 प्रदान किए जा चुके हैं। संस्थान रोगों के नियंत्रण के माध्यम से प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

डा. धीर सिंह ने यह भी बताया कि विगत वर्ष 100 से अधिक विद्यार्थियों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अभी हाल में ही विस्तार के क्षेत्र में कार्य करते हुए संस्थान ने कल्याणी, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे इलाकों में डेरी मेला का आयोजन किया जिसमें हजारों की संख्या में पशुपालक एवं पशुप्रेमी सम्मिलित हुए।

अपने दीक्षांत संबोधन में बोलते हुए डा. आर.एस.परोदा ने कहा कि राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान डेरी क्षेत्र में उत्कृष्ट  सेवाएं प्रदान कर रहा है।  संस्थान की तारीफ करते हुए उन्होंने बताया कि इस संस्थान ने अथक प्रयास के पश्चात् ही सभी राज्य कृषि विश्व विद्यालयों से अनेक वर्षों तक प्रथम स्थान प्राप्त किया। कृषि एवं डेरी क्षेत्र के लिए पोषण सुरक्षा को महत्वपूर्ण चुनौती बताते हुए उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में तो हम काफी आगे आ गए हैं किन्तु् अभी भी पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।

भारत के सतरंगी क्रांति पर चर्चा के अनुक्रम में किए गए कार्य का ही परिणाम है कि आज भारत वैश्विक औसत दुग्ध उपलब्धता से काफी आगे निकल आया है और आज यहां प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्ध्ता 400 ग्राम से अधिक है। खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा का परिणाम है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक औसत जीवन आयु दोगुनी से अधिक हो गयी है। अपने उद्बोधन में उन्होंने पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों की और भी सभी का ध्यान खींचते हुए कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों को ध्यान में रखते हुए हमें इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर डा. के.एम.बुजरबरुआ पूर्व कुलपति, असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट तथा डा. डी.वी.के प्रकाशराव, प्रबंध निदेशक, प्रकाश फूडस एडं फीड प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई को संस्थान द्वारा मानद् उपाधि प्रदान की गई।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर डा.मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, गोविंदवल्लभ पंत, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति, पदम श्री डा.एम.एल.मदन, डा. एस.एल.गोस्वामी, पूर्व कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय, प्रबंधन बोर्ड के सम्मानित सदस्य, आईसीएआर के अनेक संस्थानों के निदेशक, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक), संयुक्त निदेशक(अनुसंधान), संयुक्त निदेशक (प्रशासन) एवं वरिष्ठ कुलसचिव, विशिष्ट अतिथिगण, प्रभागों के अध्यक्ष, संकाय, अधिकारी एवं कर्मचारी, छात्रों और उनके गौरवान्वित माता-पिता भी उपस्थित थे।

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