New Delhi/नई दिल्ली, किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच हुए सौदे को सिंगापूर की मध्यस्थता अदालत ने अन्तरिम रोक लगा दी है जिसके बाद सोमवार को फ्यूचर ग्रुप ने सिंगापूर की मध्यस्थता अदालत के अन्तरिम रोक को भारत के न्यायिक मंच पर चुनौती देने का संकेत दिया है।
कारण यह है कि अमेज़न ने इसे फ्यूचर ग्रुप के साथ अपने पहले से ही हुए शेयरधारक-करार का उल्लंघन बताया है जिसके आधार पर फ्यूचर समूह के कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का विरोध किया है। सिंगापूर के मध्यस्थता अदालत ने अमेज़न कंपनी की याचिका पर 24,713 करोड़ रुपए वाले इस सौदे पर अंतरिम रोक लगाई है।
एफ आर एल यानि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड का कहना है कि वह करार में शामिल ही नहीं है जिसके आधार पर अमेज़न ने मामला दायर किया है। इसी कारण बिग बाज़ार और ईजी डे स्टोर जैसे खुदरा स्टोर का संचालन करने वाली फ्यूचर ग्रुप ने सोमवार को यह बयान दिया कि वह सिंगापूर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के अन्तरिम आदेश का अध्ययन कर रहा है। फ्यूचर ग्रुप ने कहा है कि मध्यस्थ निर्णय की अर्जी दे कर रिलायंस के साथ सौदे को रोका नहीं जा सकता।
एफ आर एल ने कहा कि उनके निदेशक मण्डल ने जो भी कदम उठाया है वह पूरी तरह शायर धारकों के हित में है और इन कदमों को मध्यस्थता अदालत द्वारा किसी ऐसे करार के आधार पर रोका नहीं जा सकता जिसमें एफ आर एल शामिल ही नहीं है। एफ आर एल के सभी करार उनके विस्तृत आशयों और उद्देश्यों के लिए भारतीय क़ानूनों और भारतीय मध्यस्थता अधिनियम से बंधे हैं। बता दें कि फ्यूचर ग्रुप को अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बेचने से सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने अंतरिम रूप से रविवार को रोक लगाई है।
अमेजन ने पिछले वर्ष फ्यूचर ग्रुप की एक असूचीबद्ध कंपनी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति जताई थी। जिसमें शर्त रखी गई थी कि अमेजन को तीन से 10 साल की अवधि के बाद एफ आर एल की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा। इसी बीच कर्ज से लदे किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप ने अपने खुदरा स्टोर, थोक और लाजिस्टिक्स कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का करार कर लिया जिसके विरुद्ध अमेजन कंपनी ने मध्यस्थता अदालत का दरवाजा खटखटाया है।