New Delhi/नई शिक्षा नीति सरकार द्वारा शिक्षा को लेकर की जाने वाली नए बदलाओं से है जिसमें देश में शिक्षा को लेकर आने वाले समय को लेकर विज़न तैयार करना एवं उसे लागू करना है। जानकारों के अनुसार हर दस से पंद्रह साल में ऐसी नीति बनाई जानी चाहिए परंतु इस बार नई शिक्षा नीति को बनने में 34 साल लग गए। देश में सबसे पहली शिक्षा नीति सन 1968 में इंदिरा गांधी द्वारा शुरू की गई थी।
भारत में नई शिक्षा नीति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट से मंजूरी 29 जुलाई, 2020 को मिली। इसमें पाँचवी तक की शिक्षा मातृभाषा में होगी। इस नई नीति में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का छः प्रतिशत भाग खर्च किया जाएगा। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए साल 2030 तक का लक्ष्य रखा है।
आइये जानते हैं नई शिक्षा नीति 2020 में शामिल मुख्य बिन्दुओं के बारे में-
- अब 1 से लेकर पाँचवी तक की शिक्षा स्थानीय भाषा या मात्रभाषा में होगी। इसमें अँग्रेजी, हिन्दी जैसी विषय शामिल होंगे परंतु पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा या मातृभाषा में होंगे।
- नई शिक्षा नीति 2020 में सकल घरेलू उत्पाद का छः प्रतिशत खर्च किए जाएंगे जबकि यह पहले केवल 4.43 प्रतिशत थी।
- देश में चलने वाली 10+2 पद्धति में बदलाव होगा। नई नीति में ये 5+3+3+4 के हिसाब से होगा जिसमें 5 का मतलब है तीन साल प्री स्कूल और कक्षा-1 और कक्षा-2, 3 का मतलब है कक्षा-3, 4 और 5, अगले 3 का मतलब है कक्षा6, 7 और 8 तथा अंतिम के 4 का मतलब है कक्षा-9, 10, 11 और 12।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री हैं।
- बोर्ड परीक्षाओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इन्हें ज्ञान आधारित बनाया जाएगा।
- लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर अन्य समस्त उच्च शिक्षा के लिए एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग यानि HECI का गठन किया जाएगा. अर्थात उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा.
- नई शिक्षा नीति में रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के तीन हिस्से होंगे. जिसमें पहले बच्चा अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन करेगा, दूसरा उसके सहपाठियों से होगा और तीसरा अध्यापक के जरिए।
- अंडर ग्रेजुएट कोर्स को अब 3 की बजाए 4 साल का कर दिया गया है। छात्र अभी भी 3 साल बाद डिग्री हासिल कर पाएंगे, लेकिन 4 साल का कोर्स करने पर, सिर्फ 1 साल में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की जा सकेंगी. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए, जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं करना है.
- कक्षा छः से ही छात्रों को कोडिंग भी पढ़ाई जाएगी, जो कि स्कूली शिक्षा पूरी करने तक उनके कौशल विकास में सहायक होगी। इसके लिए इच्छुक छात्रों को छठवीं कक्षा के बाद से ही इंटर्नशिप करायी जाएगी.
- म्यूज़िक और आर्ट्स को पाठयक्रम में शामिल किया जायेगा।
- ग्रेजुएशन कोर्स के तीनों साल को प्रभावी बनाने हेतु उत्तम कदम उठाया गया है जिसके तहत 1 साल बाद सर्टिफिकेट, 2 साल बाद डिप्लोमा और 3 साल बाद डिग्री हासिल की जा सकेगी।
- ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम यानि NETF बनाया जा रहा है जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जा रहीं हैं।
- MPhil को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, अब MA के बाद छात्र सीधे PhD कर पाएंगे।
- नई शिक्षा नीति में सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम का लागू होना। इसके तहत 1 साल के बाद पढ़ाई छोडने पर सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद पढ़ाई छोडने के बाद डिग्री मिल जाएगी।
- नई शिक्षा नीति 2020 में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी के नियम अब एक होंगे।
- देश में अनुसन्धान को बढ़ावा देने के लिए शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी। यह स्वतंत्र रूप से सरकार के द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा और बड़े प्रोजेक्टों की फाइनेंसिंग भी करेगा।
- नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है. राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी।