- सरकारी विद्यालयों का "मदरसाकरण" करने की साजिश के पीछे PFI
झारखंड सरकार के सरकारी विद्यालयों की शुक्रवार को छुट्टी और उर्दू शब्द जोड़ देने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता रीतेश सिंह ने कहा कि झारखंड में सरकारी विद्यालय राज्य की संपत्ति है। और उस पर सभी नागरिकों का समान अधिकार है। ऐसे में मुस्लिम बहुल क्षेत्र के द्वारा सरकारी विद्यालयों का गैर कानूनी और बलात् मदरसाकरण किया जाना, राज्य की सुरक्षा और कानून को चुनौती है। राज्य में आला अधिकारियों से लेकर मंत्री, मुख्यमंत्री तक के संज्ञान में यह विषय है। लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। मामला उजागर होने के बाद भी 50 विद्यालय अभी भी शुक्रवार को बंद कराए जा रहे हैं और रविवार को खुले जा रहे हैं। इतना ही नहीं राज्य के 427 विद्यालयों के नाम के आगे गैर कानूनी रूप से उर्दू शब्द जोड़ दिया गया है जो कि संविधान के विरुद्ध है और अपराध भी है। इस प्रकार के विद्यालयों की संख्या सबसे अधिक संथाल क्षेत्र में है जोकि पीएफआई का गढ़ भी रहा है। पीएफआई की एक शाखा केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) का इस साजिश में हाथ होने की प्रबल संभावना है, क्योंकि हिजाब विवाद के समय रांची के कॉलेज विद्यालय में प्रदर्शन के समय भी इसका नाम आ चुका है। जांच एजेंसियों को चाहिए कि वह इसकी जांच करे। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा की शिथिल नीतियों के कारण ही इस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके पूर्व में भी हेमंत सरकार ने रांची में हुए जिहादी हमले के आरोपियों पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की, उल्टा अफसरों का तबादला कर दिया। इसके कारण राज्य में जिहादी मानसिकता का मनोबल बढ़ा है। श्री सिंह ने कहा कि क्या हेमंत सरकार दोषी समुदाय, शिक्षक और अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी यदि हां तो कब तक। अगर शीघ्र ही इसे हल नहीं किया गया तो सड़क पर आंदोलन किया जाएगा।