कलि: शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापर:।
उतिष्ठंस्त्रेता भवति कृतं सम्पद्यते चरन्॥ चरैवेति चरैवेति॥
अर्थ- सोया हुआ कलयुग होता है, जाग जाये तो द्वापर। उठ खड़ा होने पर त्रेता होता है और चलता हुआ कृतयुग (सतयुग) होता है।
अतः चलते रहो।
ऐतरेय ब्राह्मण अ 3 खं3