- जम्मू संभाग के जिला डोडा के देसा वन क्षेत्र में सोमवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई।
- सोमवार रात 9 बजे के आसपास फिर गोलीबारी हुई। इसमें 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
डोडा/जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले लगातार शांति भंग करने में जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर का माहौल बिगाड़ने की लगातार कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सबसे पहले 9 जून को आतंकियों ने जम्मू के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया, जिसमें 9 लोग मारे गए। फिर, आतंकियों ने कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी को टारगेट किया, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे। नौशेरा में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, हालांकि वह नाकामयाब रही। लेकिन सोमवार को जम्मू संभाग में पिछले आठ दिनों में दूसरी बड़ी मुठभेड़ हुई। डोडा मुठभेड़ में चार जवान और एक अधिकारी बलिदान हुए हैं।
आठ जुलाई को कठुआ मुठभेड़ में भी पांच जवानों का बलिदान हुआ था। दोनों ही मुठभेड़ में दहशतगर्द हाथ नहीं लग सके हैं। दोनों ही हमलों की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है। पिछले एक महीने के अंदर आतंकी 7 बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं, जिनमें 12 जवान शहीद हुए हैं और 9 आम नागरिकों की मौत हुई है कटरा के रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों को माता वैष्णो देवी मंदिर लेकर जा रही 53 सीटर बस पर 9 जून की शाम आतंकियों ने हमला किया था। इसके बाद बस खाई में गिर गई थी, जिसमें एक नाबालिग समेत 9 लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए थे। बस में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के तीर्थयात्री सवार थे। बस पर हमले करने वाले आतंकी पहाड़ी इलाके में छुपे हुए थे।
आतंकियों की तलाश में जम्मू संभाग के अलग-अलग इलाकों में चल रहे सर्च ऑपरेशन के बीच दहशतगर्द फिर नुकसान पहुंचाने में सफल हो गए हैं। हालांकि आतंकियों के इस वारदात का बहादुर जवान जल्द ही बदला लेंगे। जम्मू संभाग के जिला डोडा के देसा वन क्षेत्र में सोमवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। देर रात तक चली मुठभेड़ में सेना के अधिकारी और जवान घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान मंगलवार तड़के कैप्टन, सेना के तीन जवान वीर गति को प्राप्त हो गए।
पांच सैनिकों के बलिदान के गम से देश अभी उबर नहीं पाया था कि आतंकियों ने पांच और बहादुर सैनिकों की जिंदगी छीन ली। आतंकियों की तलाश में डोडा के देसा इलाके में गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, ये इलाका ऊंचे पहांड़ और जंगल से घिरा हुआ है। यहां न तो बेहतर सड़क सुविधा है और न ही फोन नेटवर्क। मानसून में मौसम भी धुंध से घिरा रहता है। इसी चीज का फायदा उठाकर आतंकी नुकसान पहुंचाने में सफल रहे।
अधिकारियों ने बताया कि डोडा में मुठभेड़ तब शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवानों ने शाम करीब 7.45 बजे देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था। सेना की ह्वाइट नाइट कोर ने एक्स(X) पर पोस्ट में लिखा, विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर सेना और पुलिस की ओर से डोडा के उत्तर में सामान्य क्षेत्र में एक संयुक्त अभियान जारी था। रात लगभग 9 बजे आतंकियों से संपर्क स्थापित हुआ, जिसके बाद भारी गोलीबारी हुई।
कठुआ में पांच जवान हुए बलिदान
आठ जुलाई को कठुआ के बदनोटा इलाके में सेना के गश्ती दल पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। हमले में पांच जवान बलिदान हो गए थे। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां पिछले एक महीने के अंदर 7 बड़े हमले या मुठभेड़ हुई हैं। आतंकियों ने कभी सेना के वाहन को निशाना बनाया है तो कभी तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमला किया है।
जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के डेसा में आतंकवादियों की फायरिंग में सेना के कैप्टन समेत 4 जवान शहीद हो गए। एक पुलिस कर्मी की भी मौत हुई है। यानी कुल 5 लोगों की जान गई है। राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस यहां सोमवार से ही सर्च ऑपरेशन चला रही थी। सर्चिंग के दौरान आतंकी फायरिंग करते हुए भागे। घना जंगल होने की वजह से वे बच निकले। सोमवार रात 9 बजे के आसपास फिर गोलीबारी हुई। इसमें 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्मी चीफ से बात की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्मी चीफ से मुठभेड़ की जानकारी ली है। जम्मू डिवीजन के डोडा में 34 दिन में यह पांचवां एनकाउंटर है। इससे पहले 9 जुलाई को एनकाउंटर हुआ था। यहां 26 जून को एक और 12 जून को 2 हमले हुए थे। इसके बाद सुरक्षाबलों-आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें 3 आतंकी मारे गए थे।
हमले पर नेताओं के बयान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: आतंकवाद विरोधी अभियान में हमारे बहादुर और साहसी भारतीय सेना के जवानों की मौत से गहरा दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। राष्ट्र मजबूती से उनके साथ खड़ा है।
राहुल गांधी: आज जम्मू-कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू-कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों का खामियाजा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं। हर देशभक्त भारतीय की यह मांग है कि सरकार बार-बार हो रही सुरक्षा चूकों की पूरी जवाबदेही ले कर देश और जवानों के गुनहगारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। दुख की इस घड़ी में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।
केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह: मेरे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में डोडा जिले के डेसा क्षेत्र में सशस्त्र मुठभेड़ की खबरों से बहुत परेशान हूं। हमारे बहादुरों की शहादत पर शोक व्यक्त करने और निंदा करने के लिए शब्द कम हैं। हम सभी मिलकर दुश्मन के नापाक मंसूबों को हराएं और शांति और सद्भाव बनाए रखें, जिसके लिए डोडा हमेशा से जाना जाता है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल: डोडा जिले में हमारी सेना के जवानों और जेकेपी कर्मियों पर हुए कायरतापूर्ण हमले के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ है। हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि। शोक संतप्त परिवारों के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। हम अपने सैनिकों की मौत का बदला लेंगे और आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के नापाक मंसूबों को विफल कर देंगे।
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती: डीजीपी को बर्खास्त कर देना चाहिए, क्योंकि पिछले 32 महीनों में लगभग 50 जवानों की जान जा चुकी है। मौजूदा डीजीपी राजनीतिक तौर पर चीजों को ठीक करने में लगे हैं। उनका काम पीडीपी को तोड़ना, लोगों और पत्रकारों को परेशान करना और लोगों को धमकाना है। वे अधिकतर लोगों पर यूएपीए लगाने के तरीके ढूंढ रहे हैं। हमें यहां फिक्सर की जरूरत नहीं है, हमें एक डीजीपी की जरूरत है। हमारे पास पहले भी दूसरे राज्यों के डीजीपी रहे हैं और उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। किसी ने भी साम्प्रदायिक आधार पर काम नहीं किया जैसा कि अब किया जा रहा है। जब से ये डीजीपी आए हैं तब से ज्यादा जाने जा रही हैं। मुझे लगता है कि रक्षा मंत्री और गृह मंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए।