- दूसरे पौराणिक कथा के अनुसार नैनीताल को त्रिऋषि सरोवर अर्थात तीन साधुवों अत्रि, पुलस्क तथा पुलक की भूमि के रूप में दर्शाया गया है।
- नैनीताल हिमालय की कुमाऊँ पहाड़ियों की तलहटी में बसा है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 2,084 मीटर (6,837 फीट) है।
नैनीताल/नैनीताल, उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह शहर नैनी झील के चारों ओर बसा हुआ है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। इसे 'लेक डिस्ट्रिक्ट' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह बर्फ से ढंके पहाड़ों के बीच चारों ओर से झीलों से घिरा हुआ है। यहाँ नैनी झील के सुंदर दृश्यों और चारों ओर की पहाड़ियों के कारण यह पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। नैनीताल के जल की विशेषता यह है कि इस ताल में सम्पूर्ण पहाड़ों और वृक्षों की छाया तथा आसमान में छाए बादलों की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। इस ताल में बत्तखों का झुंड, पानी की लहरों पर इठलाती हुई नौकाओं तथा रंगीन बोटों का दृश्य और चाँद-तारों से आच्छादित रात का सौन्दर्य नैनीताल के ताल की शोभा बढ़ा देते हैं। इस ताल के पानी की प्रमुख विशेषता यह है कि गर्मियों में इसका पानी हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला रंग का हो जाता है।
नैनीताल हिमालय की कुमाऊँ पहाड़ियों की तलहटी में बसा है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 2,084 मीटर (6,837 फीट) है। यहाँ की प्रमुख झील नैनी झील है, जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस झील का आकार एक आंख जैसा है और इस झील को स्थानीय लोग "ताल" कहते हैं, जहां ‘नैनी’ शब्द का अर्थ है आँखेँ और ‘ताल’ का अर्थ है झील। इनमें सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है।
नैनीताल ‘64 शक्तिपीठों’ में से एक है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ स्थल पर जाकर आत्मदाह कर लिया। जब भगवान शिव को इसका पता चला, तो उन्होंने सती के शरीर को उठाकर तांडव नृत्य किया, जिससे सृष्टि में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने सृष्टि को बचाने के लिए सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटकर 51 भागों में विभाजित कर दिया, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे। यह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। मान्यता है कि इस स्थान पर सती की बायीं आँख (नैन) गिरी थी इसलिए इसका नाम नैनताल पड़ा जिसे बाद में नैनीताल के नाम से जाना जाने लगा। नैना देवी का मंदिर इस ताल के उत्तरी छोर पर है जहां देवी शक्ति की पूजा होती है।
दूसरे पौराणिक कथा के अनुसार नैनीताल को त्रिऋषि सरोवर अर्थात तीन साधुवों अत्रि, पुलस्क तथा पुलक की भूमि के रूप में दर्शाया गया है। मान्यता है कि यह तीनों ऋषि यहां पर तपस्या करने आये थे, परंतु उन्हें यहां पर पीने का पानी नहीं मिला। अतः प्यास मिटाने के लिए वे अपने तप के बल पर तिब्बत स्थित पवित्र मानसरोवर झील के जल को साइफन द्वारा यहां पर लाये।
एतिहासिक दृष्टिकोण से देखें तो नैनीताल का इतिहास 19वीं शताब्दी में शुरू होता है जब यह एक ब्रिटिश हिल स्टेशन के रूप में विकसित हुआ। 1841 में, पी. बैरन नामक एक ब्रिटिश व्यापारी ने नैनीताल की खोज की और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया। ब्रिटिश शासन के दौरान, यह स्थान ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में स्थापित हुआ। ब्रिटिश अधिकारियों ने इसकी सुंदरता से प्रभावित होकर इस क्षेत्र में एक आवासीय घर बनाया। उन्होंने नैनीताल झील के किनारे बसे इस स्थान को ब्रिटिश समाज के लिए एक ग्रीष्मकालीन रिजॉर्ट के रूप में विकसित करने की दिशा में काम किया। ब्रिटिश काल में नैनीताल में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित किए गए।
नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थल:
इसके अलावा नैनीताल में अन्य तालें, चर्च, वन्य जीव अभ्यारण्य और बॉटनिकल गार्डन भी हैं, जहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को देखा जा सकता है।
नैनीताल की संस्कृति, त्यौहार और खान-पान:
नैनीताल में विभिन्न सांस्कृतिक त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं नन्दा देवी मेला। यह अगस्त-सितंबर में आयोजित होता है। इसी प्रकार विंटर कार्निवल है जो सर्दियों में आयोजित होता है और इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताएँ शामिल होती हैं। नैनीताल में विभिन्न प्रकार के व्यंजन मिलते हैं, जिनमें उत्तराखंडी खाना, तिब्बती मोमोज, थुपका और स्थानीय मिठाइयाँ जैसे बाल मिठाई प्रमुख हैं। नैनीताल में विभिन्न प्रकार के होटलों, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट्स की व्यवस्था है, जो हर बजट के पर्यटकों के लिए उपयुक्त हैं। यहाँ सरकारी और निजी दोनों प्रकार की आवास व्यवस्था उपलब्ध है।
नैनीताल में एक्टिविटी:
नैनीताल में पर्यटक अपनी रुचि के आधार पर विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आनंद ले सकता है। शॉपिंग, नैनीताल के फेमस फूड, रॉक क्लाइम्बिंग और ट्रेकिंग, केबल कार की सवारी आदि जैसी बहुत सी चीजें कर सकते हैं। नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका वहाँ की शांत झीलों का भ्रमण है। रॉक क्लाइम्बिंग साहसिक उत्साही लोगों के लिए नैनीताल में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। ट्रेकिंग आपकी नैनीताल यात्रा का आनंद लेने के लिए सबसे प्रसिद्ध और सर्वोत्तम गतिविधियों में से एक है। पैराग्लाइडिंग नैनीताल में सबसे लोकप्रिय रोमांचकारी चीजों में से एक है। नौकुचियाताल और भीमताल में वहां के ट्रेंड टीचरों की मौजूदगी में पैराग्लाइडिंग की जा सकती है।
नैनीताल घूमने का सहीं समय:
अलग-अलग मौसम में नैनीताल का प्राकृतिक सौन्दर्य अलग-अलग होता है जैसे- ग्रीष्मकाल (मार्च से जून): इस समय का मौसम बहुत ही सुहावना और ठंडा होता है, जिससे यह समय पर्यटकों के लिए बहुत आकर्षक होता है। इस समय का तापमान लगभग 10°C से 27°C के बीच रहता है। ये समय नैनी झील में बोटिंग, मॉल रोड पर खरीदारी, और आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों की सैर के लिए उपयुक्त है।
नोट: हालांकि बारिश के कारण कभी-कभी भूस्खलन होने का खतरा रहता है, जिससे ट्रेवल में बाधा आ सकती है। इसलिए इस समय में घूमने की योजना सावधानीपूर्वक बनानी चाहिए।
सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी): सर्दियों में नैनीताल बहुत ठंडा हो जाता है और दिसंबर से जनवरी के बीच बर्फबारी भी हो सकती है। इस समय यहाँ का तापमान लगभग -3°C से 15°C के बीच रहता है। स्नोफॉल के दौरान नैनीताल की सुंदरता अपने चरम पर होती है। बर्फबारी का आनंद लेने के लिए यह समय उपयुक्त है। इस प्रकार नैनीताल घूमने के लिए मार्च से जून का समय सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और कई पर्यटक आकर्षण इस समय खुले रहते हैं।
नैनीताल कैसे पहुँचे:
इस प्रकार, नैनीताल का पौराणिक इतिहास, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं, जो हर आगंतुक के लिए एक अनमोल अनुभव प्रदान करता है।