×
userImage
Hello
 Home
 Dashboard
 Upload News
 My News
 All Category

 Latest News and Popular Story
 News Terms & Condition
 News Copyright Policy
 Privacy Policy
 Cookies Policy
 Login
 Signup

 Home All Category
Friday, Oct 18, 2024,

Today Special / Day Wishes / India / Madhya Pradesh / Jabalpur
देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने राज्य की रक्षा के लिए लड़े कई युद्ध

By  AgcnneduNews...
Fri/May 31, 2024, 01:50 AM - IST   0    0
  • बद्रीनाथ, द्वारिका, गया, ओंकारेश्वर, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम जैसे महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थों में देवी अहिल्या बाई ने कई दान पुण्य और निर्माण कार्य करवाये।
  • अहिल्याबाई होल्कर उन रानियों में से एक थीं जो सैन्य शक्ति से लेकर राजकीय कार्यों में भी बहुत अच्छी थीं।
Jabalpur/

जबलपुर/भारतीय इतिहास कई महान योद्धाओं, शूरवीरों और क्रांतिकारियों की उपलब्धियों से भरा हुआ है। इन्हीं शूरवीरों में पुरुषों के साथ-साथ कई महिलाओं के नाम भी शामिल हैं, जो एक कुशल योद्धा के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा चुकी हैं। अहिल्याबाई होल्कर उन्हीं योद्धाओं में से एक है। अहिल्याबाई होल्कर 18वीं शताब्दी की एक प्रेरणादायक महिला थीं जिनको न्याय की देवी के नाम से भी जाना जाता था।

कौन थीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर?

महारानी अहिल्याबाई होल्कर उस दौर की शासक थी जब महिलाओं के लिए शिक्षा, राजनीति, और शासन में भाग लेना अत्यंत कठिन था। लेकिन उन्होंने समाज की रूढ़िवादी धारणाओं को पार करते हुए न केवल शक्तिशाली राज्य पर शासन किया बल्कि एक कुशल नेता दूरदर्शी विचारक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में समाज में अपनी पहचान बनाई। ऐसी महान वीरांगना का जन्म 31 मई, 1975 को महाराष्ट्र के अहमदनगर शहर के छौंड़ी नामक एक गाँव में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, महाराष्ट्र के मालवा क्षेत्र के एक साधारण किसान थे। अहिल्याबाई उनकी एकमात्र पुत्री थीं। रानी अहिल्याबाई को न्याय की देवी के नाम से भी जाना जाता था। वहीं उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने न केवल होल्कर साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि इसे एक शक्तिशाली साम्राज्य भी बनाया।

हिल्याबाई होल्कर की शादी मात्र 10 वर्ष की अल्पायु में ही मालवा में होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ हो गई थी। अहिल्याबाई दो बच्चों की मां बनी थी- उन्हें एक पुत्र और एक पुत्री थी। जब वह 29 वर्ष की थी तभी उनके पति का निधन हो गया था। फिर उनके ससुर और बाद में पुत्र मालेराव, दोहित्र नत्थू, दामाद फणसे, पुत्री मुक्ता भी मां को अकेला ही छोड़ चल बसे।

इंदौर को एक खूबसूरत शहर बनाने में योगदान

अहिल्याबाई होलकर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने यहां पर सड़कों की दशा सुधारने, गरीबों और भूखों के लिए खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया। अहिल्याबाई की बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध एवं विकसित शहरों में होती है।

अहिल्याबाई ने विधवा महिलाओं और समाज के लिए किए कई काम

महारानी अहिल्याबाई ने समाज सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई ने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खासा काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था।

शिवभक्त अहिल्याबाई का आदेश माना जाता था भगवान शिव का आदेश

होलकर राज्य की निशानी और देवी अहिल्याबाई के शासन में बनवाई गईं चांदी की दुर्लभ मुहरें अब भी मल्हार मार्तंड मंदिर के गर्भगृह में रखी हुई हैं। इन मोहरों का उपयोग देवी अहिल्या के समय में होता था। उस समय देवी अहिल्या के आदेश देने के बाद ही मुहर लगाई जाती थी, आदेश पत्र शिव का आदेश ही माना जाता था। छोटी-बड़ी चार तरह की मुहरें अब भी मंदिर में सुरक्षित हैं।

शिवभक्ति में छुपा है देवी अहिल्या की सफलता का रहस्य

देवी अहिल्या बाई की सफलता का रहस्य उनकी शिवभक्ति थी। राजनीति में उनके खिलाफ़ हजारों षड्यंत्र हुए, कोई प्रबल मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ, अपने पति, ससुर, बेटे और कई अपनों का साथ छूट जाने और अकेले रह जाने के बाद भी वे एकाग्र रहीं और अपने कार्यों के चलते महानता को प्राप्त हुईं। देवी अहिल्या के बारे में विस्तार से समझने के बाद यह एहसास होता है कि भगवान शिव की भक्ति, दृढ़ विश्वास और शास्त्र के नियमों के आधार पर अपनी दिनचर्या के चलते ही उन्हें आज सभी देवी का दर्जा देते हैं। देवी अहिल्या बाई के पूरे जीवन से हमें भी भगवान शिव की कृपा का पात्र बनने की सीख मिलती है। अहिल्या बाई की विशेषताओं में उनकी दिनचर्या, शिवजी पर अटूट विश्वास, स्वार्थहीन चरित्र, कुशल नेतृत्व, खराब परिस्थिति में भी सही फैसले लेना, राजनीति में पारंगत, समाज कल्याण की भावना और समर्पण भाव थी जो हमें जीवन जीने के सही मायने सिखाता है।

सोमनाथ मंदिर सहित औरंगजेब द्वारा तोड़े हुए मंदिरों का करवाया निर्माण

देवी अहिल्याबाई (1725-1795) को धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए पुण्यश्लोक भी कहा जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के लिए अनेक ऐसे कार्य किये जिनके बारें में कोई राजा भी नहीं सोच सकता था।

• देवी अहिल्या बाई ने मुगलों के अत्याचारों के शिकार हुए भारत के अनेक तीर्थ स्थलों और अनेक स्थानों पर 100 से भी अधिक मंदिर बनवाएं, वहां तक पहुँचने के लिए मार्ग निर्माण करवाया।

• हिमालय से लेकर दक्षिण राज्यों तक उन्होंने धर्म यात्रियों के लिए कुएं, जलाशय और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।

• बद्रीनाथ, द्वारिका, गया, ओंकारेश्वर, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम जैसे महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थों में देवी अहिल्या बाई ने कई दान पुण्य और निर्माण कार्य करवाये।

• औरंगजेब के द्वारा तोड़े गए काशी विश्वनाथ मंदिर का 1780 में पुनर्निर्माण और शिवलिंग की स्थापना भी देवी अहिल्या बाई ने ही कारवाई थी।

अपने राज्य की रक्षा के लिए लड़े कई युद्ध

अहिल्याबाई होल्कर उन रानियों में से एक थीं जो सैन्य शक्ति से लेकर राजकीय कार्यों में भी बहुत अच्छी थीं। उन्होंने तुकाजी राव होल्कर को सेनापति के तौर पर नियुक्त किया और उसके साथ ही उन्होंने कई युद्ध जीते।

जब अहिल्याबाई के ससुर की भी मौत हो गई तो पुरुष उत्तराधिकारी ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष के साथ राज्य की बागडोर संभालनी पड़ी। उन्होंने राजपूत, भील, दीवान गंगाधर राव और कई विदेशी शासकों के आक्रमण से अपने राज्य को बचाया था।

ऐसी प्रेरणादायक महिला देवी अहिल्याबाई होल्कर को उनके जयंती पर कोटि कोटि नमन।

By continuing to use this website, you agree to our cookie policy. Learn more Ok