Wardha/राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रधान मंत्री, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अनंतराम त्रिपाठी का आज (रविवार) की सुबह 4.30 बजे निधन हुआ. 89 वर्ष के प्रो. त्रिपाठी ने वर्धा स्थित राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के परिसर में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार सोमवार 11 जनवरी को वर्धा के मोक्षधाम पर किया जाएगा. उनकी अंतिम यात्रा सुबह 9.30 बजे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के परिसर से निकलेगी. अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव समिति में उनके निवास पर रखा गया है. उनके पीछे उनके पुत्र सरोज और तीन कन्या नलिनी, कुसुम और अनिता तथा पौत्र सहित भरापूरा परिवार है. उनके निधन पर 12 जनवरी (मंगलवार) को प्रात: 11 बजे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति परिसर के रामेश्वर दयाल दुबे सभागार में शोक सभा होगी.
7 जनवरी 1933 को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के पचराँव गाँव में जन्मे प्रो. अनंतराम त्रिपाठी 1 फरवरी, 1993 से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा में विदेश एवं सहायक मंत्री तथा 1 अक्टूबर, 1994 से परीक्षा मंत्री के रूप में अतिरिक्त दायित्व पर कार्यरत रहे . प्रो. त्रिपाठी 14 जुलाई, 1997 से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत थे. वे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की सभी प्रांतीय समितियों की कार्य समितियों के पदेन सदस्य थे. वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हि्ंदी विश्वविद्यालय, वर्धा की कार्य परिषद के सदस्य भी रहे है. प्रो.त्रिपाठी 'राष्ट्रभाषा' मासिक पत्रिका के 1997 से प्रधान संपादक थे. वे भारत सरकार के 10 से अधिक मंत्रालयों की हिंदी सलाहकार समितियों के सदस्य भी थे. उन्होंने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की करीब 25 पुस्तकों का संपादन किया. उन्हें अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए है.
उनके निधन से राष्ट्र भाषा प्रचार समिति तथा हिंदी सेवियों में शोक ली लहर व्याप्त है.
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना से ही विश्वविद्यालय के साथ उनका निकट का संबंध रहा है. विश्वविद्यालय के विकास और प्रगति के लिए वे हमेशा अग्रसर रहते थे.
उनके निधन पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की है. प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा है कि प्रो. अनंतराम त्रिपाठी जी का अवसान हिंदी के एक युग का अवसान है. उनके जाने से उत्पन्न रिक्तता को भरने के लिए अनवरत ओर सामूहिक यत्न की ज़रूरत होगी.
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि राष्ट्रभाषा हिंदी के उन्नयन के लिए समर्पित त्रिपाठी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना के सूत्रधार थे. पूर्व कुलपति प्रो. जी. गोपीनाथन ने प्रो. त्रिपाठी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि प्रो. त्रिपाठी ने जीवन के अंतिम क्षण तक हिंदी के प्रचार-प्रसार में स्वयं को समर्पित कर दिया था. उनका जीवन हिंदी के एक संघर्षशील योद्धा की तरह था. वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल ने अपने शोक संदेश में कहा कि अनंतराम जी से हमारा पारिवारिक नाता रहा. मेरी जिंदगी को सही राह दिखाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे विवेकी और समर्पित व्यक्ति थे। हिंदी की सेवा करने के लिए वे मुंबई से वर्धा आए और जीवनपर्यंत वर्धा में ही रहे. उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत हानी है. प्रो. त्रिपाठी जी के निधन पर जय महाकाली शिक्षा संस्थान वर्धा के अध्यक्ष पं. शंकर प्रसाद अग्निहोत्री ने शोक प्रकट करते हुए उन्हें हिंदी के लिए समर्पित और जुझारू व्यक्तित्व कहा. नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति प्रो. राम मोहन पाठक ने कहा हमने हिंदी का एक सशक्त योद्धा खो दिया है. हिंदी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल एवं प्रो. चंद्रकांत रागीट, आसाम से मदन गुप्ता, भोपाल से कैलाश चंद्र पंत, वर्धा से डॉ. ओ. पी. गुप्त, श्री कौशल मिश्र, प्रदीप दाते आदि सहित अनेक शैक्षणिक, सामाजिक एवं साहित्यिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रो. त्रिपाठी के निधन पर शोक प्रकट किया है।