Thiruvananthapuram/तिरुवनंतपुरम/उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हमारी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के प्रति पूर्वाग्रहों का मुकाबला करके उनका पता लगाने और उनकी फिर से तलाश करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि, कुछ लोग जो भ्रमित हैं और अराजकता फैलाने वाले हैं तथा सवाल करते हैं, वे हमारे पारंपरिक ज्ञान का बिना अध्ययन किए ही उन्हें अवैज्ञानिक, पुरातन बता कर अस्वीकार कर देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, शैक्षणिक चर्चाओं के कुछ विशेष वर्गों में भारतीय ज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणाली के विरुद्ध इस प्रकार का पूर्वाग्रह आधुनिक वैज्ञानिक मनोभाव की धारणा के विपरीत है।
8 मार्च को केरल के तिरुवनंतपुरम में राजनक पुरस्कार समारोह के दौरान उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि कोई राष्ट्र केवल अपनी सरहदों से नहीं बल्कि अपनी संस्कृति की गहराई से जाना जाता है। यह विचार व्यक्त करते हुए कि संस्कृति आत्मा की शांति, संतुष्टि और आंतरिक विकास लाती है, उन्होंने हमारी संस्कृति के लिए अधिक समय समर्पित करने की अपील की। साथ हीं उपराष्ट्रपति ने संस्कृति को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए जोर देकर कहा- मैं युवाओं, उद्योग जगत और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से अपील करता हूं कि उन्हें जहां तात्कालिक मामलों पर अवश्य फोकस करना चाहिए, उन्हें कभी भी हमारी सांस्कृतिक संपदा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
अपने सम्बोधन में उपराष्ट्रपति ने कानूनी क्षेत्र में अपने विशाल अनुभव के आधार पर कहा- यह चिरस्थायी एकता हमारे संविधान के अक्सर छूटे हुए पहलुओं में से एक - हमारे इतिहास और महाकाव्यों के रेखाचित्र, जो प्रसिद्ध कलाकार श्री नंद लाल बोस द्वारा हमारे संविधान की मूल पांडुलिपि में तैयार किए गए हैं, में प्रतिबिंबित होती है। इन रेखाचित्रों को हमारे संविधान का अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये भारत के गौरवशाली इतिहास और उसके आध्यात्मिक-नैतिक सिद्धांतों की हमारी सामूहिक स्मृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पुरस्कार समारोह के दौरान दो प्रतिष्ठित विद्वानों - डॉ. मार्क डाइक्ज़कोव्स्की और डॉ. नवजीवन रस्तोगी को कश्मीर शैववाद के प्रति उनके समर्पण के लिए राजनक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह ध्यान दिया जा सकता है कि 'राजनक' पुरस्कार शक्ति और ज्ञान के मिलन का प्रतीक एक प्राचीन उपाधि है। इस कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, प्रज्ञाप्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे नंदकुमार, अभिनवगुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक डॉ. आर रामनाडा और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।