Jaipur/जयपुर/भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने आज, 13 जनवरी को कहा कि मुझे बहुत पीड़ा होती है जब कोई अज्ञानी, इतिहास से अनभिज्ञ, हलफनामा दे देते हैं कि राम काल्पनिक है।
उन्होंने कहा कि राम और राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित है और संविधान के निर्माताओं ने इसको पराकाष्ठा पर रखा है। श्री धनखड़ ने बताया कि हमारे संविधान में बीस से ज्यादा चित्र हैं, और उनमें मौलिक अधिकारों के ऊपर जो चित्र है उसमें राम-लक्ष्मण-सीता हैं। जो लोग भगवान राम का निरादर कर रहे हैं, वास्तव में वह हमारे संविधान निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने बहुत सोच समझकर विवेकपूर्ण तरीके से प्रभु राम के उन चित्रों को वहां रखा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज तभी स्वस्थ रहेगा जब समाज के सभी अंग एक साथ रहेंगे। हमारी संस्कृति यही कहती है सब मिलकर काम करो एकजुटता से रहो। उन्होंने कहा "जो लोग समाज को हिस्सों में बांटना चाहते हैं, तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए जहर फैलाना चाहते हैं, वे ही 35 बनाम 1 की बात करते हैं, 20 बनाम 10 की बात करते हैं।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने आधुनिक जीवन शैली के कारण हो रही बीमारियों की रोकथाम में आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक पारंपरिक चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इस अवसर पर अपने भाषण में उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने व्यवसायियों और उद्योगों से आर्थिक राष्ट्रवाद अपनाने का आह्वाहन किया और इसके लिए तीन मंत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि जब विदेशों में निर्मित दिए और खिलौने आयात किए जाते हैं तो हम देश के शिल्पियों के हाथ से अवसर छीनते हैं। उन्होंने उद्योगों से कहा कि वे देश की प्रगति के लिए सिर्फ अपरिहार्य सामान का ही आयात करें।
उपराष्ट्रपति ने देश से कच्चे माल के निर्यात पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम कच्चे माल की जगह value added सामान का निर्यात करें जिसके निर्माण में देश के कामगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
तीसरा, उन्होंने कहा कि हम अपने ही धन के ट्रस्टी हैं उसका सार्थक और आवश्यक उपयोग ही करें, फिजूलखर्च और दिखावे से बचें। अधिक धन होना हमको संसाधन व्यर्थ बर्बाद करने की अनुमति नहीं देता।
इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तथा उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद्र बैरवा, चुरू के सांसद श्री राहुल कास्वां सहित अनेक पदाधिकारी और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।