- अभी आयी शोधों के आधार पर दिए और पटाखे पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि के लिए अत्यंत लाभदायक हैं।
- सूत्रों के हवाले से वैश्विक उष्मा इतनी बढ़ सकती है कि तथाकथितों को अन्य ग्रहों में रहने के लिए जाना पड़ सकता है।
जबलपुर/"बुरा न मानो, दीपोत्सव है" दीया जलाओ संस्कृति और बुरे पटाखों की ओर से चीटा न काटे, क्योंकि अब विश्व के पर्यावरणविदों, माननीय सुको, तथाकथित प्रगतिवादी लफ्फाज बुद्धिजीवियों, बड़ी-बड़ी बिंदियां लगाने वाली और बिखरे आधे काले, आधे सफेद झुतरा (बालों) वाली तथाकथित प्रगतिशील महिलाएं और बालीवुड के दो टके के तथाकथित भांडों और विदूषकों को जिनको बुद्धि का अजीर्ण, पेचिश, अतिसार (डायरिया) है, उनको दीपावली में दीयों और पटाखों को लेकर भारी तनाव हो गया है और विश्व पर्यावरण संकट उत्पन्न होने के कृष्ण मेघ मंडराने की आशंका बढ़ गयी होगी। ध्वनि प्रदूषण से कान के परदे फट जाने का भय पैदा हो गया है.. यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि दीपावली पर दीया जलाने से अंटार्कटिका और आर्कटिक के साथ विश्व के सारे ग्लेशियर पिघल जाएंगे और पृथ्वी जलमग्न हो सकती है। सूत्रों के हवाले से वैश्विक उष्मा इतनी बढ़ सकती है कि तथाकथितों को अन्य ग्रहों में रहने के लिए जाना पड़ सकता है। अशांति उत्पन्न होने से दंगा भड़कने का भी खतरा उत्पन्न हो गया होगा इसलिए गरज के साथ छींटे पड़ेंगे। क्योंकि तथाकथितों का मानना है कि अंग्रेज़ी नव वर्ष, क्रिसमस सहित अन्य अवसरों पर होने वाले आतिशबाजी और मोमबत्तियों का जलना शुभ होता है और उससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है केवल दीपावली को छोड़कर, वैंसे इन झंडाबरदारों का थूथन (snout) रुस-यूक्रेन युद्ध और ईजरायल-हमास, युद्ध में चिपक जाता है क्योंकि इनका मानना है कि इन युद्धों से पर्यावरण और प्रदूषण नहीं फैलता है। यह तो इनका दोगलापन है, इसलिए इस प्रकार के तथाकथित प्रगतिवादी लोगों से आग्रह है कि अपना ज्ञान का प्रदर्शन कर मुझे टैग करने का कष्ट न करें और न ही अन्य माध्यम से ज्ञान की विष्ठा प्रेषित करें। अन्यथा हमारी ओर से पटाखे पड़ेंगे और दिए जलेंगे अत:सलाह दी जाती है कि कान में रुई डालकर भूमिगत हो जायें चाहें तो विदेश यात्रा पर चले जाएं अथवा अन्य ग्रहों के लिए पलायन कर जाएं। अभी आयी शोधों के आधार पर दिए और पटाखे पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि के लिए अत्यंत लाभदायक हैं। गंधक और मिश्रित गैंसे कीटनाशक का कार्य करती हैं। कृषि में सहायक होती हैं, गांव में कृषि के लिए पाला के लिए और सबसे ज्यादा अधिकांश मनोवैज्ञानिक बीमारियों और समस्याओं के निराकरण के लिए लाभदायक हैं। अतः दीपोत्सव का पर्व धूमधाम से मनाए और विघ्न संतोषियों के कुपोषित विचारों पर मिट्टी डालें।
दीपावली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनायें !
साभार
डॉ. आनंद सिंह राणा
विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, श्रीजानकीरमण महाविद्यालय जबलपुर एवं इतिहास संकलन समिति महाकोशल प्रांत।