- एक राष्ट्र, एक व्यक्ति, एक संस्कृति और एक विश्व की परिकल्पना है।
- व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर ले जाना, समस्या जहां से उठती है उसका समाधान वहीं खोजना, पुरानी नींव पर नया मकान खड़ा करना, सहकारिता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना।
नागपुर, संघ विचार- आत्मिक विचार- मैं प्राधिकारी नहीं हूँ, एतदर्थ व्यक्तिगत अनुभव से उद्भूत विचार हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक आंदोलन है,यह संगठन (ऑर्गेनाइजेशन) नहीं!!! संघ सर्व समावेशी दर्शन है,एकत्व से बहुत्व की दृष्टि है। यही मूल उपागम है। राष्ट्र का मूल समाज की एकता में है और सभी की जीवन मूल्यों की एक ही अवधारणा है। वसुधैव कुटुम्बकम् भारत के जीवन का दृष्टिकोण है और आध्यात्म आधारित जीवन मूल्य है। सभी को एक मानना हिंदुत्व है, हिंदू इस भारत का राष्ट्रत्व है। इसलिए आध्यात्मिक लोकतंत्र पर विश्वास और आस्था रखता है। परोपकार ही धर्म है, आंखें खोलो, मैं को छोटा करो, हम को विकसित करो - समाज को देना ही धर्म है। धर्म का आधार आध्यात्मिक है, समाज से जितना लिया उससे ज्यादा वापस करना है। समाज का वैशिष्ट्य हिंदुत्व ही है।
सन् 2019 की विजयादशमी के बौद्धिक में सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा था कि "स्व" याने हिंदुत्व। विश्व का द्वंदात्मक संघर्ष है हमारा एकात्मकता के लिए संघर्ष है। एक राष्ट्र, एक व्यक्ति, एक संस्कृति और एक विश्व की परिकल्पना है। समाज की समस्याओं का निराकरण करना है समाज की समस्या का निराकरण समाज के द्वारा ही होगा। संघ बड़ा नहीं होना चाहता, हमारा कोई विरोधी नहीं है समाज शक्तिशाली बनाने का कर्म संघ का है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर ले जाना, समस्या जहां से उठती है उसका समाधान वहीं खोजना, पुरानी नींव पर नया मकान खड़ा करना, सहकारिता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना। संघ चाहता है कि समाज नेतृत्व करे और सज्जन शक्ति ही समाज की समस्याओं का समाधान करे, सरकार नहीं!!! संपूर्ण समाज कैसे जागृत हो, समाज का आत्मविश्वास बढ़े। संघ कहीं नियंत्रण नहीं करना चाहता है। संघ का स्वयंसेवक नाम और यश से दूर रहता है।संघ अपने आप को बड़ा बनाने में विश्वास नहीं रखता है, वह श्रेय लेना नहीं वरन् देना चाहता है और देश को परम वैभव पर आसीन कर, अपने योगदान को कभी रेखांकित नहीं करना चाहता है। यदि इतिहास में संघ को श्रेय की दृष्टि से स्थान दिया गया तो यह हमारी असफलता होगी।
डॉ. आनंद सिंह राणा
इतिहास संकलन समिति, महाकौशल प्रांत।