- नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का सर्वाधिक महत्व है।
- महाराज पर्वतराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं।
- अगर कोई जातक माँ शैलपुत्री का ही पूजन करते हैं तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है।
शैलपुत्रि माता की आराधना से शारदीय नवरात्र आरंभ, नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के ही शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। महाराज पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शिव शंकरजी से हुआ था। जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने अपने शरीर को भस्म कर लिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार मां दुर्गा के हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था। नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन शैलपुत्री माँ का ही पूजा और उपासना की जाती है।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
माँ शैलपुत्रि की आरती
जय जगजननी जय जगदम्बा अम्बा, शैलपुत्रि माता ।
नो दुर्गा नो रूप में तुम हो, पहले दिन की माता ।
ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः, ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः ।
हेमवती हिम कन्या कहता, कहता कोई पार्वती ।
सती हुई तुम पिछले जनम में, दक्ष कन्या महासती ।
ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः, ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः ।
नेत्र तुम्हारे तीन हैं मां, वृषभ तुम्हारा वाहन ।
धवल प्रिया श्वेताम्बरी मां, नाम तुम्हारा पावन ।
ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः, ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः ।
त्रिशूल है दाएं कर में, कमल है बाएं हाथ में ।
उसको कोई चिंता नहीं, तुम रहती जिसके साथ में ।
ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः, ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः ।
जय जगजननी जय जगदम्बा अम्बा, शैलपुत्रि माता ।
नो दुर्गा नो रूप में तुम हो, पहले दिन की माता ।
ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः, ओम शं शैलपुत्रि दैव्ये नमः ।