Nagpur/दिल्ली/विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सीआरटीडीएच कार्यक्रम के तहत चिंतन शिविरों की श्रृंखला में चौथे "एमएसएमई को सशक्त बनाने वाले सीआरटीडीएच पर चिंतन शिविर" संपन्न हुआ। यह चिंतन शिविर सीएसआईआर-खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर के डीएसआईआर-सीआरटीडीएच में आयोजित किया गया था। यह चिंतन शिविर अनुवाद संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा देने, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने और वैज्ञानिक ज्ञान, विचारों एवं आविष्कारों तथा विपणन योग्य उत्पादों और सेवाओं के रूप में उनके व्यावहारिक तरीके के बीच की खाई को पाटने के लिए एक अनुकूल परितंत्र बनाने के लिए आयोजित किया गया था। सीआरटीडीएच, एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं और संसाधनों के निर्माण की सुविधा प्रदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इस प्रकार देश की तकनीकी प्रगति और आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है। चिंतन शिविर का उद्घाटन डीएसआईआर की वैज्ञानिक-जी और सीआरटीडीएच प्रमुख डॉ. सुजाता चकलानोबिस, सीएसआईआर-आईएमएमटी, भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. रामानुज नारायण और एसीएसआईआर के निदेशक प्रोफेसर मनोज के. धर ने किया। डीएसआईआर की सचिव और सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने अपने रिकॉर्डेड वीडियो संबोधन में उद्यमिता को बढ़ावा देने, स्थानीय अनुसंधान और नवाचार को प्रदर्शित करने, विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने इत्यादि में डीएसआईआर और सीआरटीडीएच की भूमिका पर जोर दिया। इस चिंतन शिविर में अधिकारियों और हितधारकों की सामूहिक बुद्धिमता, ज्ञान और विशेषज्ञता का उपयोग किया गया। सीएसआईआर-आईएमएमटी, भुवनेश्वर के सीआरटीडीएच में एमएसएमई/स्टार्ट-अप/इनोवेटर्स के लिए संभावित अवसरों पर व्यापक चर्चा की गई। सीएसआईआर-आईएमएमटी, भुवनेश्वर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आर. शक्तिवेल ने गणमान्य व्यक्तियों, आयोजकों, सभी हितधारकों, प्रेस और मीडियाकर्मियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।