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Friday, Oct 18, 2024,

Article / Special Article / India / Madhya Pradesh / Jabalpur
अदम्य साहस और संघर्ष का दूसरा नाम नीरजा भनोट है

By  AgcnneduNews...
Thu/Sep 07, 2023, 09:54 AM - IST   0    0
  • वीरांगना नीरजा भनोट प्रथम भारतीय सबसे कम उम्र की महिला थीं जिन्हें मरणोपरांत - भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र (शांति काल में - सैनिक एवं असैनिक क्षेत्र) - प्रदान किया गया था।
  • नीरजा भनोट ने 1986 में ‘पैन एम 73’ फ्लाइट में 360 लोगों की जान बचाई थी। नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को पत्रकार पिता हरीश भनोट और माता रमा भनोट के घर हुआ था।
Jabalpur/

जबलपुर/"अदम्य साहस और संघर्ष की प्रतिमूर्ति : वीरांगना नीरजा भनोट" - --------------------------(आज जयंती पर सादर समर्पित) "या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता, नारी रुपेण संस्थिता, नीरजा भनोट रुपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। ऋग्वेद के देवी सूक्त में मां आदिशक्ति स्वयं कहती हैं,"अहं राष्ट्री संगमनी वसूनां,अहं रूद्राय धनुरा तनोमि "… अर्थात मैं ही राष्ट्र को बांधने और ऐश्वर्य देने वाली शक्ति हूँ, और मैं ही रुद्र के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाती हूं। हमारे तत्वदर्शी ऋषि मनीषा का उपरोक्त प्रतिपादन वस्तुत: स्त्री शक्ति की अपरिमितता का द्योतक है।यह शोध आलेख उन हिंदू वीरांगनाओं को सादर समर्पित है,जो जीवन के संग्राम में स्व के लिए मां, बेटी, बहन, पत्नी के रुप में देश की रक्षा के लिए अनादि काल से पूर्णाहुति देती आ रही हैं और दे रहीं हैं जिनकी आस्था और समर्पण अटल है और उन्हें विपरीत परिस्थितियाँ भी हरा नहीं सकीं। हिन्दुओं में बेटी का जन्म एक परिवार, एक कुटुम्ब का जन्म है इसलिए मातृशक्ति हिंदुत्व का मूलाधार है। यह अटल सत्य है कि व्यक्ति का जन्म साधारण ही होता है परंतु मृत्यु सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है क्योंकि मृत्यु के समय ही उसका आकलन होता है। कमजोर और भीरु व्यक्ति की मृत्यु पर इतिहास मौन हो जाता है, श्रद्धांजलि भी नहीं देता है परंतु जब स्व के लिए किसी धीर, वीर  और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो इतिहास ऐंसी हुतात्माओं को  अमर कर देता है, और इन सब में सबसे महत्वपूर्ण मृत्यु है, मातृभूमि और मानवता के प्रति बलिदान!!! वीरांगना नीरजा भनोट का बलिदान इस कोटि की उच्चतम पराकाष्ठा है। हिंदू धर्म में एक बेटी का जन्म शक्ति के अवतार के रूप में शिरोधार्य किया जाता है। वीरांगना नीरजा भनोट प्रथम भारतीय सबसे कम उम्र की महिला थीं जिन्हें मरणोपरांत - भारत का सर्वोच्च  वीरता सम्मान अशोक चक्र (शांति काल में - सैनिक एवं असैनिक क्षेत्र) - प्रदान किया गया था। अदम्य साहस और संघर्ष का दूसरा नाम नीरजा भनोट है। नीरजा भनोट ने 1986 में ‘पैन एम 73’ फ्लाइट में 360 लोगों की जान बचाई थी। नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को पत्रकार पिता हरीश भनोट और माता रमा भनोट के घर हुआ था। इनके माता पिता नीरजा को प्यार से लाडाे कह‍कर पुकारते थे। नीरजा की शादी 22 साल की उम्र में हो गई थी लेकिन दहेज के कारण परेशान किये जाने की वजह से नीरजा ने अपने पति का घर छोड का मुम्बई वापस आ गईं। मुंबई आने के बाद उसने पैन एम एयरलाइन्स ज्वाइन कर लिया। इस दौरान नीरजा ने एंटी-हाइजैकिंग कोर्स भी किया। एयर-होस्टेस बनने से पहले उन्होंने  बिनाका टूथपेस्ट, गोदरेज बेस्ट डिटरजेंट, वैपरेक्स और विको टरमरिक क्रीम जैसे उत्पादों के लिए मॉडलिंग की थी नीरजा सबसे युवा और प्रथम महिला थीं, जिन्हें अशोक चक्र मिला (मृत्यु उपरांत) अशोक चक्र भारत का सर्वोच्च वीरता का पदक हैअशोक चक्र  के साथ-साथ नीरजा को अमेरिका द्वारा फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन हिरोइजम अवॉर्ड और पाकिस्तान द्वारा तमगा-ए-इंसानियत  इसके अलावा जस्टिस फॉर क्राइम्स अवॉर्ड  यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नीज ऑफिस फॉर द डिस्ट्रिक्ट ऑव कोलंबिया, स्पेशल करेज अवॉर्ड, यूएस गवर्नमेंट और इंडियन सिविल एवियेशन मिनिस्ट्रीज अवॉर्ड जैसे सम्मानों से भी नवाजा गया5 सितंबर 1986 को नीरजा मुंबई से न्यूयॉर्क  जाने वाले विमान में सवार हुईं। विमान में नीरजा सीनियर पर्सन के तौर पर तैनात थीं ।इस विमान को 4 आतंकियों ने कराची में हाईजैक कर लिया था। जिस समय विमान हाईजैक हुआ था उस समय विमान में 380 लोग सवार थे। विमान में आतंकवादी के होते हुए भी नीरजा ने अदम्य साहस दिखाया और विमान के आपातकालीन दरवाजे को खोलकर विमान में सवार 360 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। नीरजा जब विमान से बच्चों को बाहर निकाल रहीं थी उसी वक्त एक आतंकवादी ने उन पर बंदूक तान दी, और मुकाबला करते हुए वीरांगना नीरजा का वहीं बलिदान  हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का हीरोइन ऑव हाईजैक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2004 में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया था।वीरांगना नीरजा भनोट न केवल भारत वरन् विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगनाओं में अपना पृथक स्थान रखती हैं। डॉ. आनंद सिंह राणा, श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत

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