- सुप्रीम कोर्ट ने सड़क की चौड़ाई बढ़ाने को नहीं दी अनुमति।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर का पालन करने का निर्देश।
- हाईपावर कमेटी ने दो रिपोर्ट दी।
- डॉ. हेमंत ध्यानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक फैसला दिया है
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चार धाम नेशनल हार्ईवे प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र को आदेश दिया है कि वह वन क्षेत्र को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पौधरोपण कराए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन, नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 में जारी सर्कुलर के दिशा-निर्देशों का पालन करे।
इससे पहले केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रोजेक्ट का कुछ हिस्सा चीन की सीमा से जुड़े क्षेत्र में है। इस मार्ग पर सेना से जुड़े वाहनों की आवाजाही भी रहेगी। इसलिए सड़क की चौड़ाई 5 मीटर की जगह 7 मीटर करने की अनुमति दी जाए। जस्टिस रोहिंग्टन ने इसकी अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि 2018 के सर्कुलर के मुताबिक ही सड़क बनाई जाए। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि प्रोजेक्ट में अभी तक 25 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। चार धाम हाईवे प्रोजेक्ट में तहत 900 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है। इसमें 400 किमी सड़क को चौड़ा किया जा रहा है।
हाईपावर कमेटी ने दो रिपोर्ट दी, सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष सहित चार सदस्यों की रिपोर्ट को मंजूर किया।
चार धाम प्रोजेक्ट के लिए गठित 26 सदस्यीय हाई पावर कमेटी सड़क चौड़ीकरण के मुद्दे पर दो टीमों में बंट गई थी और दो अलग-अलग रिपोर्ट दी। दिसंबर 2016 में शुरू हुए प्रोजेक्ट के लिए दो लेन रोड बनाना तय हुआ, लेकिन 2018 में सड़क परिवहन मंत्रालय ने सर्कुलर जारी कर पहाड़ों पर इंटरमीडिएट रोड यानी 5.5 मीटर और दोनों तरफ एक-एक मीटर के फुटपाथ के साथ 7.5 मीटर रोड बनाने का नियम बना दिया। कमेटी के अध्यक्ष सहित चार सदस्य इंटरमीडिएट रोड के पक्ष में थे। इससे 80-90% पर्यावरणीय नुकसान बचेगा। वहीं कमेटी के अधिकांश सदस्य दो लेन हाईवे के पक्ष में 12 मीटर चौड़ी रोड की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के प्रमुख प्रो. रवि चोपड़ा, डॉ. हेमंत ध्यानी, डॉ नवीन जुआल, डॉ एस. सत्य कुमार की रिपोर्ट को ही मंजूर किया।
डॉ. हेमंत ध्यानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक फैसला दिया है। हालांकि गंगा आह्वान संस्था से जुड़ी मल्लिका भनोट ने कहा कि चार धाम प्रोजेक्ट के नाम पर जो हुआ है, उससे पर्यावरणीय नुकसान हुआ और भूस्खलन की घटनाओं में लोगों की जान गई। इसके लिए किसी को तो जिम्मेदार ठहराया जाना ही चाहिए।