New Delhi/तमिल नाडु/चेन्नई/मद्रास हाईकोर्ट ने पुजारियों की नियुक्ति पर अहम फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा- मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में जाति की कोई भी भूमिका नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा- पुजारी रखते हुए सिर्फ यह देखा जाना चाहिए कि व्यक्ति उस योग्य है या नहीं। साथ ही शख्स को अपने काम में अच्छी तरह से पारंगत हो, प्रशिक्षित हो और जरूरत के हिसाब से पूजा करने के लिए योग्य हो। अगर व्यक्ति इन सभी मानदंडों को पूरा करता है तो जाति की इसमें कोई भी भूमिका नहीं होगी।
बता दे मद्रास हाई कोर्ट में मुथुसुब्रह्मण्यन गुरुक्कल की तरफ से तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (HR and CE) के 2018 में श्री शसुगवनेश्वर स्वामी मंदिर में पुजारियों की भर्ती के लिए निकाले गए एक विज्ञापन को चुनौती दी गई थी।
मामले को लेकर याचिकाकर्ता गुरुक्कल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, यह गुरुक्कल का वंशानुगत अधिकारों का उल्लंघन है। गुरुक्कल ने अपना दादा से पुजारी का पद संभाला था जिसके पीछे उनका तर्क था कि, उनका परिवार प्राचीन काल से यही काम करता है।
मद्रास हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ही पुजारी की नियुक्ति होनी चाहिए। कोर्ट ने मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को एक विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने तक पूजा करने की इजाजत भी दी। इसके अलावा हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चयन प्रक्रिया मे भी हिस्सा ले सकता है।