कुल्लू/ जिला कुल्लू समेत हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में लहसुन की फसल तैयार हो गई है। कई जिलों की मंडियों में लहसुन बिकने के लिए पहुंच रहा है। सीजन के शुरुआत में लहसुन के दाम उम्दा मिलने से किसानों के चेहरों पर रौनक आई है। सूबे के तमाम लहसुन की मांग दक्षिण भारत और विदेशों में अधिक रहती है। जिले में भी लहसुन की खुदाई शुरू हो गई है।
कोरोना काल में लहसुन के दाम अच्छे मिलने से उत्पादक खासे उत्साहित हैं। जिला कुल्लू के अलावा सिरमौर, सोलन और मंडी में भी लहसुन का उत्पादन होता है। सूबे में सबसे अधिक लहसुन की पैदावार सिरमौर में होती है। कुल्लू लहसुन की पैदावार में दूसरे पायदान पर है। किसानों को सीजन के शुरूआती में फसल के अच्छे मूल्य मिलने से पूरे सीजन में तेजी बने रहने की उम्मीद है।
किसान अनूप ठाकुर, अनिश, नवीन, ज्ञान ठाकुर, रोशन लाल, अनूप भंडारी और जयचंद का कहना है कि गत वर्ष की अपेक्षा इस साल लहसुन का उत्पादन 25 प्रतिशत कम है। किसान बताते हैं कि सर्दियों में समय पर बारिश व बर्फबारी न होने से पैदावार में गिरावट दर्ज की जा रही है। प्रदेश में करीब 3900 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन हो रहा है। औसतन 58000 मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन होता हे। जिला कुल्लू में 1200 हेक्टेयर जमीन पर लहसुन की पैदावार होती है। जिले में 19000 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन होता है। (संवाद)
मिल रहे हैं बेहतर दाम : मोहन लाल
बंदरोल आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहन लाल ठाकुर का कहना है कि कम उत्पादन के चलते लहसुन के दाम किसानों को बेहतर मिल रहे हैं। स्थानीय मंडियों में लहसुन अभी नहीं आ रहा है। लेकिन प्रदेश के अन्य जिलों में ए श्रेणी का लहसुन 80 से 100 रुपये तक बिक रहा है।
नौ माह में तैयार होती है फसल
लहसुन नौ माह में तैयार होता है। इसके लिए अधिक मेहनत की जरूरत होती है। इसमें खाद, निराई और निकालने में मजदूरी पर काफी खर्चा वहन करना पड़ता है। जिला कुल्लू में करोड़ों का कारोबार होता है।