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Friday, Oct 18, 2024,

You Must Know / History / India / Uttar Pradesh / Ajodhya
एतिहासिक, धार्मिक और संस्कृतिक विरासत की पहचान है अयोध्या

By  AgcnneduNews...
Tue/Jul 30, 2024, 12:24 PM - IST   0    0
  • अयोध्या का इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध है जो भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नगरों में से एक है।
  • अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन और पवित्र नगर है।
Ajodhya/
अयोध्या/अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन और पवित्र नगर है। यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और इसे भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। यहाँ राम जन्मभूमि मंदिर स्थित है, जो भगवान राम के जन्मस्थान पर स्थित है और लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। भगवान राम का जन्म, बाल्यकाल, विवाह, वनवास और अंततः राज्याभिषेक की घटनाएँ अयोध्या में घटित हुई थीं इसलिए अयोध्या का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। राम के जन्मस्थान होने के कारण अयोध्या को हिंदुओं के सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से पहला माना गया है। अयोध्या का सबसे प्रमुख उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जहाँ इसे कोसल राज्य की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है। भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला राम नवमी का पर्व अयोध्या में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाने वाला दिवाली पर्व भी यहाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पर्यटन के लिए यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थलों के अलावा अयोध्या में अन्य आकर्षण जैसे राम की पैड़ी, गुप्तार घाट, नया घाट और अयोध्या शोध संस्थान आदि हैं। यह नगर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जिसका प्रभाव देश और दुनिया भर में देखा जा सकता है।
 
अयोध्या का इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध है जो भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नगरों में से एक है। इसका उल्लेख ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में मिलता है। इसका नाम "अयोध्या" का अर्थ है "जिसे कोई युद्ध से जीत न सके।" अयोध्या का पौराणिक इतिहास भारतीय संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि अयोध्या का सबसे महत्वपूर्ण संबंध भगवान राम से है। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि और राजा दशरथ की राजधानी बताया गया है। राजा दशरथ अयोध्या के प्रसिद्ध और न्यायप्रिय राजा थे। उनकी तीन पत्नियाँ थीं- कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। अयोध्या का शासन और राजा दशरथ का प्रजापालक रूप रामायण में विस्तार से वर्णित है। यहाँ से ही भगवान राम ने अपने जीवन की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं को अंजाम दिया था।
 
मध्यकालीन युग में गुप्त और मौर्य वंश के समय अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बना रहा क्योंकि इस दौरान यहाँ अनेक मंदिरों और धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ। अयोध्या का सतयुग में भी महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ के राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी और धर्मनिष्ठ राजा माने जाते थे। उनकी सत्यनिष्ठा और कर्तव्यपरायणता की कहानी पुराणों में वर्णित है, जिसमें उन्होंने हर परिस्थिति में सत्य और धर्म का पालन किया। महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी अयोध्या का दौरा किया था। यहाँ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व द्वापरयुग में भी बना रहा। अयोध्या को एतिहासिक रूप से साकेत के नाम से जाना जाता था। अयोध्या बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल रहा है। यहाँ बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने स्तूप और विहार बनाए और जैन धर्म के अनुयायियों ने मंदिर और तीर्थस्थल स्थापित किए। जैन ग्रंथों में इसे पाँच तीर्थंकरों की जन्मस्थली के रूप में वर्णित किया गया है। जैन परंपरा के अनुसार 24 तीर्थंकरों में से 22 ईक्षवाकु वंश के थे। मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या में कई मंदिर और धार्मिक स्थल ध्वस्त कर दिए गए। 1528 में बाबर ने यहाँ एक मस्जिद (बाबरी मस्जिद) का निर्माण करवाया, जिसे लेकर बाद में विवाद उत्पन्न हुआ। ब्रिटिश काल में अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बना रहा। इस समयकाल में अयोध्या का विकास धीमा रहा, लेकिन धार्मिक यात्रियों का आगमन जारी रहा।
 
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद अयोध्या का महत्व बना रहा। 1980 के दशक से अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के कारण अयोध्या एक बार फिर सुर्खियों में आया।
 
बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद:
1528 में मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ। यह स्थल विवादित रहा क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार इस स्थान पर भगवान राम की जन्मभूमि मंदिर बना हुआ था जिसे तोड़कर बाबर ने मस्जिद बनवाया था। इसके बाद में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को एक भारी भीड़ ने ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद देश में हिंसा और विवाद उत्पन्न हुए। राम जन्मभूमि आंदोलन के परिणामस्वरूप 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया। इस निर्णय के खिलाफ दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण का आदेश दिया और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में एक वैकल्पिक भूमि देने का निर्देश दिया। निर्णय के बाद, 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास किया।
 
आयोध्या की स्थापना:
आयोध्या की स्थापना के बारे में कई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, आयोध्या की स्थापना राजा मनु द्वारा की गई थी, जो भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार आदिकवि और पहले मानव राजा माने जाते हैं। इसके अलावा, कई पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में राजा सगर और उनके वंशजों का भी उल्लेख मिलता है जो आयोध्या के महत्वपूर्ण शासक माने जाते हैं। आयोध्या का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में बार-बार मिलता है और यह भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मिलता है।
 
अयोध्या में जन्में भगवान राम की कथा:
भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहाँ हुआ था। यह घटना अयोध्या के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध घटना है। भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का बचपन अयोध्या में बीता। ये चारों राजकुमार गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करते थे। भगवान राम और माता सीता का विवाह भी अयोध्या के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। यह विवाह मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ था। राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी के कहने पर राजा दशरथ ने अपने बेटे राम को 14 वर्ष का वनवास दे दिया। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अयोध्या छोड़कर वनवास के लिए प्रस्थान किया। भगवान राम के वनवास के बाद राजा दशरथ ने पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिए। यह घटना अयोध्या के लिए बहुत दुखदाई थी। 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान राम अयोध्या वापस लौटे। उनकी वापसी पर दीपावली का पर्व मनाया गया और उनका राज्याभिषेक हुआ।
 
भव्य राम मंदिर निर्माण की एक झलक:
राम मंदिर का निर्माण भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। इसे विश्व भर के हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राम मंदिर का डिज़ाइन बहुत भव्य और विस्तृत है। इसे नागर शैली में बनाया जा रहा है, जिसमें मंदिर की ऊँचाई 161 फीट होगी और इसमें 3 मंजिलें होंगी। इसमें 5 मंडप, एक मुख्य गर्भगृह और कई अन्य धार्मिक स्थल शामिल होंगे। मंदिर की दीवारों पर रामायण की कहानियाँ और भगवान राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरा जाएगा। राम मंदिर का निर्माण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जा रहा है।
वर्तमान में मंदिर निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है और इसे पूर्ण करने के लिए विभिन्न चरणों में काम किया जा रहा है। माना जा रहा है कि राम मंदिर का निर्माण 2024 तक पूरा हो जाएगा और इसके बाद यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। अयोध्या राम मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का भी महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसके निर्माण से न केवल हिंदू धर्मावलंबियों की धार्मिक भावना को बल मिलेगा, बल्कि यह स्थान देश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी उभर कर सामने आएगा। वर्तमान में, अयोध्या धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र बना हुआ है। अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यहाँ के इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन सुविधाओं का भी विकास किया गया है।
 
अयोध्या में क्या-क्या घूमें:
अयोध्या का पौराणिक महत्व आज भी भारतीय जनमानस में अत्यधिक आदर और श्रद्धा के साथ जीवित है। अयोध्या एक प्राचीन और पवित्र नगर है, जहाँ घूमने के लिए अनेक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं। जैसे-
  1. राम जन्मभूमि: यह वह स्थल है जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था। यह स्थान पुराणों में अत्यंत पवित्र माना गया है और यहाँ कई धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार आयोजित होते हैं। यहाँ अभी हाल ही में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया गया है जो अयोध्या का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।
  2. हनुमानगढ़ी: अयोध्या के एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यहाँ से अयोध्या का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान हनुमान ने भगवान राम की सेवा में समय बिताया था। यहाँ भगवान हनुमान की एक भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 76 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। 
  3. कनक भवन: यह मंदिर देवी सीता को समर्पित है। कहा जाता है कि यह स्थल भगवान राम और सीता का निवास स्थान था। यहाँ भगवान राम और देवी सीता की सोने की प्रतिमाएँ हैं।
  4. त्रेता के ठाकुर: यह मंदिर भगवान राम के राज्याभिषेक की स्मृति में बनाया गया है। यहाँ भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  5. राम की पैड़ी: यह एक घाट है जो सरयू नदी के किनारे स्थित है। यहाँ भक्त स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यहाँ एक सुंदर घाट और विशाल जलाशय भी है जहाँ आरती और दीपदान का आयोजन होता है।
  6. गुप्तार घाट: यह घाट भी सरयू नदी के किनारे स्थित है और यह माना जाता है कि यहाँ भगवान राम ने जल समाधि ली थी। यहाँ स्नान और पूजा के लिए विशेष स्थान है।
  7. नया घाट: यह घाट भी सरयू नदी के किनारे स्थित है और यहाँ से सरयू नदी का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ नाव की सवारी का भी आनंद लिया जा सकता है।
  8. अयोध्या शोध संस्थान: यह संस्थान अयोध्या के इतिहास और संस्कृति पर शोध करने के लिए समर्पित है। यहाँ रामायण और अयोध्या के इतिहास से संबंधित वस्त्र, चित्र और मूर्तियों का संग्रह है।
  9. राम कथा पार्क: यह एक बड़ा पार्क है जहाँ भगवान राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रित किया गया है। यहाँ एक सुंदर बगीचा, मूर्तियाँ और कला प्रदर्शनियाँ हैं।
  10. दशरथ भवन: यह स्थल राजा दशरथ का निवास स्थान माना जाता है। यहाँ भगवान राम और उनके परिवार की मूर्तियाँ हैं।
यहाँ के मंदिर, घाट और ऐतिहासिक स्थल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
 
अयोध्या कैसे पहुंचे:
अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है जहां पहुँचना कई माध्यमों से संभव है। जैसे-
  • हवाई मार्ग: फैजाबाद एयरपोर्ट (अयोध्या एयरपोर्ट), अयोध्या से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। यहाँ से अयोध्या के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा की सुविधा उपलब्ध है। लखनऊ के चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अयोध्या से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहाँ से भी अयोध्या पहुँचा जा सकता है।
  • रेल मार्ग: अयोध्या रेलवे स्टेशन, अयोध्या के केंद्र में स्थित है और प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। फैजाबाद जंक्शन भी अयोध्या से लगभग 7 किलोमीटर दूर है।
  • सड़क मार्ग: अयोध्या उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (UPSRTC) की बस सेवाओं द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, दिल्ली और अन्य शहरों से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। अयोध्या तक पहुँचने के लिए आप निजी कार या टैक्सी भी किराए पर ले सकते हैं। लखनऊ से अयोध्या लगभग 150 किलोमीटर दूर है। NH 27 के माध्यम से लगभग 3-4 घंटे के में आप अयोध्या पहुँच जाएंगे। इसके साथ ही वाराणसी और कानपुर से अयोध्या लगभग 200 किलोमीटर दूर है। यहाँ से लगभग 4-5 घंटे में अयोध्या पहुंचा जा सकता है।
अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल बनाता है।
 
अयोध्या घूमने कब जाएं:
अयोध्या घूमने का सबसे अच्छा समय मुख्यतः मौसम और धार्मिक उत्सवों के आधार पर चुना जा सकता है। जैसे-
  • सर्दी का मौसम (अक्टूबर से मार्च): सर्दियों का मौसम अयोध्या घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय तापमान 10°C से 25°C के बीच रहता है, जो आरामदायक होता है। मौसम ठंडा और सुखद होने के कारण शहर के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा के लिए आदर्श होता है।
  • गर्मी का मौसम (अप्रैल से जून): गर्मियों में अयोध्या का मौसम काफी गर्म होता है। तापमान 30°C से 45°C के बीच हो सकता है। इस समय गर्मी की तीव्रता के कारण यात्रा कठिन हो सकती है। हालाँकि, यदि आप गर्मी सहन कर सकते हैं, तो धार्मिक यात्राओं और दर्शन के लिए यह समय भी उपयुक्त हो सकता है।
  • मानसून का मौसम (जुलाई से सितंबर): मानसून के दौरान अयोध्या में मध्यम से भारी वर्षा होती है। तापमान 25°C से 35°C के बीच रहता है। यह समय हरा-भरा और ठंडा होता है, लेकिन भारी वर्षा के कारण यात्रा में असुविधा हो सकती है। इस दौरान स्थानीय यातायात भी प्रभावित हो सकता है।
  • राम नवमी (मार्च या अप्रैल): यह पर्व भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस समय अयोध्या में विशेष पूजा, जुलूस और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। यह त्योहार अयोध्या में भव्यता से मनाया जाता है और यहाँ की यात्रा धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है।
  • दिवाली (अक्टूबर या नवंबर): यह पर्व भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। अयोध्या में दीपावली का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे शहर को दीपों और लाइटों से सजाया जाता है, जिससे यह समय अयोध्या की यात्रा के लिए बहुत खास बन जाता है।
  • कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर): इस दिन सरयू नदी में विशेष स्नान और पूजा का आयोजन होता है। इस समय श्रद्धालु बड़ी संख्या में अयोध्या आते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
धार्मिक उत्सवों के दौरान अयोध्या में भारी भीड़ होती है, इसलिए अग्रिम बुकिंग कर लेना उचित होता है। इस समय यात्रा के दौरान विशेष आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान देखने का अवसर मिलता है। अयोध्या में परिवहन सुविधाएँ धार्मिक उत्सवों के दौरान विशेष रूप से व्यवस्थित की जाती हैं, जिससे यात्रा सुगम होती है। अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे सालभर आकर्षक बनाता है, लेकिन उपरोक्त समयों में यात्रा का अनुभव और भी विशेष हो सकता है।
 
अयोध्या नगर भगवान राम की जन्मभूमि होने के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है और यहाँ के धार्मिक स्थल, त्यौहार और ऐतिहासिक घटनाएँ इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल बनाते हैं।
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