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Friday, Oct 18, 2024,

You Must Know / History / India / Uttar Pradesh / Allahābād
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति

By  AgcnneduNews...
Fri/Jul 26, 2024, 11:42 AM - IST   0    0
  • महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी प्रयागराज का उल्लेख मिलता है।
  • महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी प्रयागराज का उल्लेख मिलता है।
Allahābād/
प्रयागराज/प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है और अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है। यह संगम हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यहाँ विभिन्न धार्मिक मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है। प्रयागराज में हर 12 वर्षों में कुम्भ मेला आयोजित होता है, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं और संगम में स्नान करते हैं। यह मेला प्रयागराज को विश्वव्यापी मान्यता दिलाता है। हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज में त्रिवेणी संगम, इन चारों में से किसी एक जगह पर ही कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है और कई पौराणिक कथाओं, ग्रंथों और धार्मिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। प्रयागराज का सबसे प्रमुख पौराणिक महत्व त्रिवेणी संगम का है जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। इसे हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है और यहाँ स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला का पौराणिक महत्व भी यहाँ के संगम से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत की कुछ बूंदें यहाँ गिर गई थीं, जिससे यह स्थान पवित्र हो गया। वेदिक काल में प्रयागराज को 'प्रयाग' के नाम से जाना जाता था। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के बाद प्रथम यज्ञ यहीं पर किया था, इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना, जिससे इसका नाम 'प्रयाग' पड़ा। इसे सभी तीर्थों में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान माना जाता है इसलिए पुराणिक काल से ही इस स्थान को तीर्थराज या तीर्थों का राजा कहा गया है। इस पावन नगरी में भगवान श्री विष्णु माधव रूप में विराजमान हैं। यहाँ विद्यमान भगवान के बारह स्वरूपों को द्वादश माधव कहा जाता है।
 
महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी प्रयागराज का उल्लेख मिलता है। महाभारत के वनपर्व में वर्णित है कि पांडव अपने वनवास के समय यहाँ आए थे और त्रिवेणी संगम पर स्नान किया था। वहीं रामायण में वर्णित है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान प्रयागराज में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में विश्राम किया था। अलोपि देवी मंदिर भी पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। माना जाता है कि यहाँ सती का एक अंग गिरा था और इसलिए यह शक्तिपीठों में से एक है। प्रयागराज के किले में स्थित अशोक स्तंभ भी पौराणिक महत्व रखता है। कहा जाता है कि इसे सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान स्थापित किया था। प्रयागराज के किले में स्थित अक्षयवट का भी पौराणिक महत्व है। माना जाता है कि इस वटवृक्ष के नीचे भगवान नारायण की आराधना की जाती थी और यह अमरता का प्रतीक है। प्रयागराज का पौराणिक इतिहास इसे हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान बनाता है। यहां के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण यह स्थान हमेशा से तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है।
 
प्रयागराज का इतिहास उसकी सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक महत्व और राजनीतिक भूमिका के कारण अत्यंत समृद्ध और महत्वपूर्ण है। मध्यकाल में गुप्त साम्राज्य के दौरान प्रयागराज एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र बना। मुगल काल में मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में इस शहर का नाम इलाहाबाद रखा और इसे अपने साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। अकबर ने यहां एक किला भी बनवाया, जिसे इलाहाबाद किला कहते हैं। यह किला आज भी यहाँ की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।
 
ब्रिटिश शासन के दौरान इलाहाबाद एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र बना। यहाँ इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना 1887 में की गई थी जो भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद का महत्वपूर्ण योगदान रहा। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसी प्रमुख हस्तियों ने यहाँ से स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। आनंद भवन, नेहरू परिवार का आवास यहाँ स्थित है और अब एक संग्रहालय के रूप में कार्य करता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इलाहाबाद एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और शैक्षणिक केंद्र बना। इसके बाद 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया।
 
आज प्रयागराज एक आधुनिक शहर है जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रयागराज में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय।
 
प्रयागराज में घूमने की जगह:
प्रयागराज अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के कारण पर्यटन के लिए कई महत्वपूर्ण स्थलों का केंद्र है। जैसे-
  1. इलाहाबाद किला: 1583 में मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित यह किला प्रयागराज के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इसमें पातालपुरी मंदिर और अशोक स्तंभ भी स्थित हैं।
  2. आनंद भवन: यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय नेहरू परिवार का आवास था। अब इसे संग्रहालय में बदल दिया गया है जहाँ नेहरू परिवार की वस्तुएं और तस्वीरें प्रदर्शित हैं।
  3. स्वराज भवन: आनंद भवन के पास ही स्थित यह भवन भी नेहरू परिवार से जुड़ा हुआ है और अब संग्रहालय के रूप में कार्य करता है।
  4. त्रिवेणी संगम: यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम स्थल है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहाँ पर कुम्भ मेला और माघ मेला का आयोजन होता है।
  5. हनुमान मंदिर: इस मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति है, जो भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।
  6. अलोपि देवी मंदिर: यह मंदिर भी प्रयागराज में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और कुम्भ के समय पर विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
  7. इलाहाबाद विश्वविद्यालय: 1887 में स्थापित यह विश्वविद्यालय भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है और शैक्षिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है।
  8. ऑल सेंट्स कैथेड्रल: गॉथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण, यह चर्च ब्रिटिश काल में बनाया गया था और इसे पट्थर गिरजाघर के नाम से भी जाना जाता है।
  9. खुसरो बाग: यह एक ऐतिहासिक बाग है जिसमें मुगल काल के प्रमुख व्यक्ति खुसरो मिर्जा का मकबरा स्थित है।
  10. चंद्रशेखर आजाद पार्क: यह पार्क शहीद चंद्रशेखर आजाद की स्मृति में बनाया गया है और यहां उनका स्मारक भी स्थित है।
  11. प्रयागराज संग्रहालय: यहाँ आप शहर के इतिहास, कला और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न वस्तुएं और कलाकृतियाँ देख सकते हैं।
  12. जवाहर प्लैनेटेरियम: यह वैज्ञानिक पर्यटन के लिए एक प्रमुख स्थल है और बच्चों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है।
प्रयागराज का यह विविधतापूर्ण पर्यटक स्थल इसे एक आदर्श पर्यटन गंतव्य बनाता है जहाँ आप ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों का आनंद ले सकते हैं।
 
प्रयागराज कैसे पहुंचे:
प्रयागराज पहुँचने के लिए विभिन्न माध्यम उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधानुसार हवाई, रेल या सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। जैसे-
  • हवाई मार्ग: बम्हरौली हवाई अड्डा (प्रयागराज एयरपोर्ट) प्रयागराज से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। यहाँ से प्रमुख भारतीय शहरों के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से शहर के विभिन्न हिस्सों तक टैक्सी और कैब की सेवाएं उपलब्ध हैं।
  • रेल मार्ग: प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और अन्य प्रमुख शहरों के लिए नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। प्रयागराज छिवकी जंक्शन भी एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है जो शहर के दक्षिणी हिस्से में स्थित है।
  • सड़क मार्ग: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) और अन्य निजी बस सेवाएं प्रयागराज को लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं। प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 19 (NH 19) और राष्ट्रीय राजमार्ग 30 (NH 30) से होकर शहर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। 
प्रयागराज के विभिन्न स्थल तक पहुँचने के लिए इन सभी माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं, जो आपकी सुविधा और बजट के अनुसार सही बैठते हैं।
 
प्रयागराज घूमने का सहीं समय:
प्रयागराज जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है, जब मौसम सुहावना और ठंडा होता है। यहाँ मौसम के अनुसार यात्रा के उपयुक्त समय का विवरण दिया गया है-
  • सर्दी (अक्टूबर से मार्च): यह समय प्रयागराज घूमने के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इस दौरान तापमान 8°C से 20°C के बीच रहता है। मौसम ठंडा और सुखद होता है, जिससे दर्शनीय स्थलों की यात्रा करना और धार्मिक स्थलों पर जाना आसान और आरामदायक होता है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आयोजित होने वाले माघ मेला और हर 12 साल में आयोजित होने वाले कुम्भ मेले का भी इस मौसम में आनंद लिया जा सकता है।
  • ग्रीष्म (अप्रैल से जून): गर्मियों का मौसम काफी गर्म हो सकता है, जिसमें तापमान 40°C तक पहुंच सकता है। इस समय शहर में घूमना मुश्किल हो सकता है, इसलिए इस मौसम में प्रयागराज की यात्रा से बचना बेहतर होता है।
  • मानसून (जुलाई से सितंबर): इस दौरान प्रयागराज में मध्यम से भारी वर्षा होती है। मानसून का मौसम यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता क्योंकि लगातार बारिश और उमस के कारण यात्रा और दर्शनीय स्थलों की सैर में परेशानी हो सकती है। यदि आपको बारिश पसंद है और आप कम भीड़-भाड़ में यात्रा करना चाहते हैं तो आप इस समय भी जा सकते हैं।
इस प्रकार प्रयागराज अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण हमेशा से तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है।
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