मिल्वौकी/अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले की घटना ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। ट्रम्प पर अमेरिकी समयानुसार शनिवार और भारतीय समायुनासर रविवार सुबह जानलेवा हमला हुआ। ट्रंप पर जब हमला हुआ तब वो एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। हमले में ट्रंप बाल-बाल बच गए। डोनाल्ड ट्रंप अगर अपना सिर दाहिनी तरफ न घुमाते तो शायद आज एक बुरी खबर हमारे सामने आती लेकिन ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। उन्होंने 0.05 सेकेंड के अंतर पर सिर घुमाया और गोली सिर के बजाय दाहिने कान को छेद कर निकल गई। ट्रंप ने खुद भी यह बात मानी है कि मौत और उनके बीच मिलिसेकेंड्स का अंतर था। इस घटना को जिसने अंजाम दिया उसकी पहचान 20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के रूप में हुई है। हमलावर को गोलीबारी के तुरंत बाद ही सुरक्षा बलों ने मार गिराया। सुरक्षा बलों ने वारदात में इस्तेमाल हथियार 'एआर 15-स्टाइल' को भी बरामद कर लिया है। यह एक राइफल है जिसकी गिनती अमेरिका के सबसे कुख्यात हथियारों में होती है।
दरअसल, हमलावर थॉमस मैथ्यू ने गोलीबारी के लिए सभास्थल से कुछ ही दूर एक उत्पादन प्लांट को चुना था। उसने खुद को बटलर ग्राउंड में ट्रंप के संबोधन वाले स्टेज से 130 कदम दूर पोजिशन किया था। मैथ्यू के गोलीबारी करने के तुरंत बाद ही सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर ने उसे गोली मार दी। बाद में जांच के दौरान हमले वाली जगह से एआर 15-स्टाइल राइफल भी बरामद की गई।
सुरक्षा अधिकारियों ने शनिवार को घटनास्थल से जो हथियार 'एआर 15-स्टाइल' बरामद किया है वो एक अर्ध-स्वचालित राइफल है। एआर-स्टाइल अमेरिका के सबसे चर्चित और कुख्यात हथियारों में से एक है। राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन द्वारा एआर-15 राइफल को 'अमेरिका की राइफल' कहा गया है। यह पूरी तरह से स्वचालित सैन्य लड़ाकू एम-16 राइफल से मिलती-जुलती है। इसे विकसित करने वाली कंपनी का नाम आर्मलाइट है।
कहा जाता है कि एआर 15 स्टाइल की राइफलें अमेरिकी बाजारों में अक्सर आसानी से खरीदी जा सकती हैं। इसके साथ ही राइफल के साथ इस्तेमाल होने वाले दूसरे उपकरण भी सहज होते हैं जिसके कारण अप्रशिक्षित निशानेबाज भी घातक हमलावर हो सकते हैं।
बंदूक निर्माता समूह लंबे समय से यह तर्क देते रहे हैं कि इस राइफल का आम लोगों के हाथों में कोई स्थान नहीं है। बंदूक विनियमन के लिए काम करने वाले लिंडसे निकोल्स कहते हैं कि “यह युद्ध का एक हथियार है जो वास्तव में केवल युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के लिए उपयुक्त है।” गिफर्ड्स लॉ सेंटर के नीति निदेशक निकोल्स कहते हैं कि “कई लोगों को जल्दी से मारने की इसकी क्षमता ही वह कारण है जिसके कारण हम इसे प्रतिबंधित करना चाहते हैं। लेकिन कई लोगों ने इस हथियार को हथियार रखने के अधिकार के रूप में अपना लिया है।”
जानकारों का कहना है कि जिस पेंसिल्वेनिया राज्य में ट्रंप पर हमला हुआ है वहां बिक्री केंद्र पर बंदूक खरीदने वालों की पृष्ठभूमि की जांच आवश्यक है। यहां 2,500 से अधिक संघीय लाइसेंसधारी हथियार विक्रेता हैं। राज्य आम तौर पर बिना परमिट के खुलेआम हथियार ले जाने की अनुमति देता है।
राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिकी समाज में हिंसा पर कहा
“हम इस रास्ते पर नहीं जा सकते हैं। हम अपने इतिहास में बहुत हिंसा झेल चुके हैं। अमेरिका की सुलगती राजनीति के दौर में शांत रहने का वक्त है।” उन्होंने हमले के दौरान मारे गए एक आम नागरिक के परिजन के प्रति संवेदना जताई और उसे हीरो बताया।
डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए हमले के लगभग 18 घंटे बाद बाइडेन ने पहली बार देश को संबोधित किया। संबोधन भारतीय समयानुसार 15 जुलाई को देर रात हुआ। राष्ट्रपति ने कहा, “मैंने ट्रम्प से बात की है। अमेरिका में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”
बाइडेन ने कहा कि “इस मामले की जांच अभी शुरुआती चरणों में है। हमें अभी इस घटना के मकसद की कोई जानकारी नहीं है। इसलिए इस घटना के मकसद को लेकर लोग अपनी थ्योरी न बनाएं। FBI और सीक्रेट सर्विस एजेंसियों को अपना काम करने दें। हमारी कोशिश है कि इस हमले के बाद हमारी कोशिश है कि ट्रम्प को और अधिक सुरक्षा दी जाए। इसके लिए सीक्रेट सर्विस को निर्देश दिया गया है।” बाइडेन ने बताया कि “मैंने सीक्रेट सर्विस के डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि कल से शुरू होने वाले रिपब्लिक पार्टी के नेशनल कन्वेंशन की सुरक्षा व्यवस्था का अच्छे से जायजा लिया जाए।”
क्या है सीक्रेट सर्विस?
जब भी ऐसी रैलियां होती हैं, तब सीक्रेट सर्विस के लोग कुछ खास साइंटफिक यंत्रों और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। ये तरीके,उनके यंत्र, उनकी प्रैक्टिस, त्वरित कार्रवाई ही वीआईपी को ऐसे हमलों से बचा पाती है।
सीक्रेट सर्विस के पास अत्याधुनिक एकॉस्टिक डिटेक्शन सिस्टम होता है। जो गोली चलने की आवाज पहचानता है. गोली की वजह से पैदा होने वाले होने वाले सोनिक बूम को पहचानता है। गोली चलते ही यह यंत्र सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को सतर्क कर देता है। वो गोली चलने की दिशा में एक्शन लेने लगते हैं।
बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी एनालिसिस: सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स गोली के आने की दिशा और गति को समझने के लिए ट्रेंड किए जाते हैं। वो गोली के आने की दिशा के मुताबिक वीआईपी की सुरक्षा करते हैं। जैसे ही गोली ट्रंप के कान पर लगकर निकलती है, एजेंट्स ये जान जाते हैं कि गोली किधर से आई। उसी तरफ से ट्रंप को को पहले कवर किया जाता है।
रिएक्शन टाइम और ट्रेनिंग: सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के रिफ्लेक्सेस काफी तेज होते हैं। गोली की आवाज के साथ ही वो तेजी से अपने वीआईपी को बचाने या फिर हमलावर को मारने के लिए एक्शन लेते हैं।
मोशन का फिजिक्स: फिजिक्स का वह नियम जो किसी भी वस्तु की गति, दिशा की समझ पैदा करता है। इन चीजों को समझ कर ही सीक्रेट सर्विस एजेंट्स गोली के आने की दिशा आदि की जानकारी हासिल कर पाते हैं। जब भी गोलियों के चलने की जांच की जाती है, तब उस समय हवा की गति, एंगल, हवा में नमी की भी जांच की जाती है। क्योंकि ये सभी प्राकृतिक फैक्टर्स भी गोली की दिशा और गति बदल सकते हैं।