पुणे/महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर काफी चर्चा में हैं। एक सिविल सेवा अधिकारी के रूप में अधिकारों के कथित दुरुपयोग को लेकर पूजा विवाद में आ गई थीं। अब पूजा को महाराष्ट्र के पूणे से वाशिम में स्थानांतरित कर दिया गया है। खेडकर अब 30 जुलाई 2025 तक अपना शेष कार्यकाल वाशिम में पूरा करेंगी।
आईएएस पूजा खेडकर के चयन पर क्या है विवाद
सिविल सेवा परीक्षा के दौरान पूजा खेडकर ने हलफनामा दायर कर दावा किया था कि वह मानसिक रूप से दिव्यांग हैं और उन्हें आंखों की भी परेशानी है। इस दावे की वजह से चयन में पूजा खेडकर को रियायत दी गई और कम नंबर्स के बावजूद उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। विवाद इस बात पर है कि पूजा खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर मेडिकल जांच में शामिल होने से किसी न किसी कारण से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद उनका चयन हो गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आईएएस पूजा खेडकर की मेडिकल जांच 22 अप्रैल 2022 को नई दिल्ली स्थित एम्स में होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमित होने का दावा कर पूजा खेडकर इस जांच में शामिल नहीं हुईं। इसके बाद 26-27 मई को भी होने वाली मेडिकल जांच में वे शामिल नहीं हुईं। वह लगातार इन जांचों से बचती रहीं। एक जुलाई को भी वह मेडिकल जांच के लिए उपलब्ध नहीं हुईं। हालांकि 22 अगस्त को उनकी एक मेडिकल जांच हुई, लेकिन 2 सितंबर को फिर से एमआरआई जांच के लिए वे नहीं पहुंची। पूजा खेडकर ने एक बाहरी केंद्र से एमआरआई कराकर उसकी रिपोर्ट यूपीएससी को सौंपी, जिसे संघ लोक सेवा आयोग ने अस्वीकार कर दिया था। यूपीएससी ने पूजा खेडकर के चयन को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चुनौती दी, लेकिन आखिरकार पूजा खेडकर का चयन हो गया।
महाराष्ट्र में प्रोबेशन पर चल रही आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर अपनी डिमांड को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं। उन पर आरोप हैं कि सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने पुणे के जिला कलेक्टर से अलग घर और कार की मांग की थी। साथ ही उन्होंने सायरन, वीआईपी नंबर प्लेट की गाड़ी और अपनी निजी लग्जरी सेडान पर महाराष्ट्र सरकार का स्टिकर लगाने की भी मांग की थी। अब उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं। पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 841वीं रैंक हासिल की थी। पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, खेडकर ने 3 जून को प्रशिक्षु के रूप में ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले ही बार-बार मांग की थी कि उन्हें एक अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान किया जाए। हालांकि, उन्हें ये सुविधाएं देने से मना कर दिया गया।
ओबीसी वर्ग के दावे पर भी उठे सवाल
आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार का दावा है कि पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर भी एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं और हाल ही में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। अपने नामांकन के दौरान दिए हलफनामे में दिलीप खेडकर ने अपनी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई थी। वहीं पूजा खेडकर ने खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर स्टेटस के लिए पात्र बताया था। यही वजह है कि आईएएस पूजा खेडकर के पिता की संपत्ति को देखते हुए उनके ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर स्टेटस को लेकर भी विवाद हो गया है।
वीआईपी मांगों को लेकर फंसी आईएएस पूजा खेडकर
आईएएस पूजा खेडकर पर पुणे में बतौर प्रोबेशन आईएएस अधिकारी रहते हुए सत्ता के दुरुपयोग का आरोप है। बताया जा रहा है कि उन्होंने कई विशेषाधिकारों की मांग की, जो प्रोबेशन अधिकारियों को नहीं मिलते हैं। आईएएस पूजा ने अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया और उस पर लाल बत्ती लगाई। साथ ही उन्होंने एक आधिकारिक कार, आवास, ऑफिस रूम और अतिरिक्त कर्मचारियों की मांग की। ये भी आरोप है कि एडिश्नल कलेक्टर के छुट्टी पर रहने के दौरान आईएएस पूजा खेडकर ने उनके चेंबर पर कब्जा कर लिया और वहां अपनी नेमप्लेट लगा दी। इसके खिलाफ पुणे कलेक्टर ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की, जिसके बाद आईएएस पूजा खेडकर का पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया है।
दिव्यांग श्रेणी से पास की परीक्षा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूजा खेडकर ने 2019 में जनरल कैटेगरी से यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी थी, लेकिन नंबर कम आने के कारण उनका चयन आईएएस पद पर नहीं हो सका। दूसरी बार उन्होंने दिव्यांग श्रेणी से परीक्षा पास की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2 फरवरी, 2022 को पूजा खेडकर को नियुक्ति देने से मना कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा करते हुए कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था।
कैसे मिली नियुक्ति?
कोर्ट ने जुलाई और सितंबर 2022 के बीच चार बार उनकी मेडिकल जांच निर्धारित की। वह चारों बार उपस्थित नहीं हुई और इसलिए न्यायाधिकरण ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि 2023 में उनका हलफनामा विकलांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत प्रस्तुत किया गया और परिणामस्वरूप उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई।
फर्जी सर्टिफिकेट देने का आरोप
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार खेडकर ने कथित तौर पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जमा किए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था। अप्रैल 2022 में उन्हें अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन कोविड संक्रमण का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया।
कहां हुआ तबादला?
पुणे में तैनात ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को मंगलवार को मध्य महाराष्ट्र के वाशिम में स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि वह एक सिविल सेवक के रूप में सत्ता के कथित दुरुपयोग को लेकर विवाद के केंद्र में पाई गई थीं। आधिकारिक आदेश के अनुसार, पूजा खेडकर 30 जुलाई, 2025 तक वाशिम में अपने प्रशिक्षण का शेष कार्यकाल पूरा करेंगी।