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Thursday, Nov 21, 2024,

Dharm Sanskriti / Post Anything / India / Odisha / Puri
16वीं शताब्दी में, चैतन्य महाप्रभु ने पुरी को अपनी धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनाया

By  AgcnneduNews...
Sat/Jun 29, 2024, 07:51 AM - IST   0    0
  • 12वीं शताब्दी में, गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित इस भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
  • जगन्नाथ पुरी, जिसे सामान्यतः सिर्फ 'पुरी' कहा जाता है, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
Puri/
ओडिशा/जगन्नाथ पुरी, जिसे सामान्यतः सिर्फ 'पुरी' कहा जाता है, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह जगह विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। पुरी में अनेक मंदिरों का समूह है जिसकी वजह से पुरी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। भुवनेश्वर से 60 किमी की दूरी पर स्थित पुरी में स्थापित जगन्नाथ मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को छुपाये हुए हैं। समुद्र तट पर बसे होने के कारण पुरी का मनोरम दृश्य हर व्यक्ति को लुभाता है। कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति यहाँ तीन दिन और तीन रात ठहर जाए तो वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्ति पा लेता है। क्योंकि यह भगवान जगन्नाथ यानि सम्पूर्ण विश्व के भगवान, सुभद्रा और बलभद्र की पवित्र नगरी है। हजारों वर्षों से पुरी को कई नामों से जाना जाता है जैसे नीलगिरी, निलाद्रि, नीलाचल, शंखक्षेत्र, श्रीक्षेत्र, पुरुषोत्तम, जगन्नाथ धाम, जगन्नाथ पुरी आदि।
पुरी का इतिहास बहुत ही प्राचीन और समृद्ध है। यह लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक का माना जाता है। यह स्थान 'श्रीक्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। महाभारत में भी पुरी का उल्लेख मिलता है। यह शहर कई राजवंशों के शासन के तहत विकास करता रहा है। पुरी मूल रूप से भील शासकों द्वारा शासित क्षेत्र था। वह सरदार विश्वासु भील ही थे जिन्हें सदियों पहले भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति प्राप्त हुई। वहीं 12वीं शताब्दी में, गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित इस भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर का निर्माण लगभग 1135 ईस्वी में पूरा हुआ। 16वीं शताब्दी में, चैतन्य महाप्रभु ने पुरी को अपनी धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। उन्होंने भक्ति आंदोलन को प्रोत्साहित किया और पुरी में कई भक्तों को आकर्षित किया। पुरी पर मराठों का शासन भी रहा और बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल और पर्यटक गंतव्य बना।
यहाँ की संस्कृति में ओडिशा की परंपराएं और त्योहार गहरे बसे हुए हैं। ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य ओडिसी यहाँ बहुत ही लोकप्रिय है।
 
पुरी के प्रमुख आकर्षण:
  1. जगन्नाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
  2. रथ यात्रा: हर साल आयोजित होने वाली रथ यात्रा पुरी का सबसे बड़ा और प्रमुख उत्सव है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह हर साल जून या जुलाई में आयोजित होती है।
  3. गुंडिचा मंदिर: यह मंदिर रथ यात्रा का मुख्य गंतव्य है और इसे 'आंटी का घर' भी कहा जाता है। यह भगवान जगन्नाथ का “गर्मियों का निवास” कहा जाता है।
  4. पुरी बीच: बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित यह समुद्र तट पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह जगह सूर्यास्त के समय आराम के लिए आदर्श स्थान है। 
  5. कुंजापुरी मंदिर: इस मंदिर का भी धार्मिक महत्व है और यह सुरम्य वातावरण में स्थित है।
  6. साक्षी गोपाल मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
  7. लोकनाथ मंदिर: भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का धार्मिक महत्व है।
  8. चिलिका झील: एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील, जो पुरी से थोड़ी दूरी पर स्थित है। इसमें की पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  9. सुनारगौरंगा मंदिर: यह मंदिर भगवान गौरांग यानि चैतन्य महाप्रभु को समर्पित है।
  10. नरेंद्र तट: यह तालाब भगवान जगन्नाथ के स्नान उत्सव यानि देव स्नान पूर्णिमा के लिए प्रसिद्ध है। 
कब जाएं पुरी:
पुरी घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है। इस समय मौसम सुहावना और ठंडा रहता है, जो यात्रा और दर्शनीय स्थलों की सैर के लिए उपयुक्त है। मार्च से मई का समय गर्मी का होता है, और तापमान बढ़ सकता है। वहीं जून से सितंबर मानसून का समय होता है, जब भारी बारिश होती है।
 
कैसे पहुंचे पुरी:
हवाई मार्ग के लिए निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो पुरी से लगभग 60 किलोमीटर दूर है। रेल मार्ग के लिए पुरी का अपना रेलवे स्टेशन है, जो देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, और चेन्नई से नियमित ट्रेनें चलती हैं। पुरी तक सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह भुवनेश्वर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग 316 पर स्थित है।
 
पुरी में रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न प्रकार के होटल और रेस्तरां शामिल हैं जो स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय भोजन परोसते हैं। पुरी, अपने धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के कारण एक अद्वितीय स्थान है जो हर यात्री को जीवन में कम से कम एक बार अवश्य देखना चाहिए।
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