×
userImage
Hello
 Home
 Dashboard
 Upload News
 My News
 All Category

 Latest News and Popular Story
 News Terms & Condition
 News Copyright Policy
 Privacy Policy
 Cookies Policy
 Login
 Signup

 Home All Category
Friday, Oct 18, 2024,

Health / Health Disease / India / Maharashtra / Wardha
कोराना वैक्‍सीन से संबंधित महत्‍वपूर्ण सवाल (पार्ट-1)

By  / Public Reporter
Thu/Jan 01, 1970, 05:30 AM - IST   0    0
  • कोराना वैक्‍सीन से संबंधित महत्‍वपूर्ण सवाल (पार्ट-1)
Wardha/

कोराना वैक्‍सीन से संबंधित महत्‍वपूर्ण सवाल (पार्ट-1)

  • वैक्‍सीन की कितनी खुराक किस अंतराल पर लेनी होगी?

कोराना वैक्‍सीन 28 दिन के अंदर एक व्‍यक्ति को दो खुराक ली जानी चाहिए।

  • खुराक लेने के बाद एंटीबॉडी कब विकसित होगी?

कोरोना वैक्‍सीन की दूसरी खुराक लेने के दो सप्‍ताह बाद एंटीबॉडी का सुरक्षात्‍मक स्‍तर विकसित होगा।

  • टीकाकरण की प्रक्रिया कब तक चलेगी?

कोरोना टीकाकरण की तुलना आम वैक्‍सीन से नहीं कर सकते हैं। ये वैक्‍सीन बहुत बडी संख्‍या में लोगों को दी जानी है। पहले चरण में 3 करोड. स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी। उसके बाद भी इसका पहला फेज जारी रहेगा जिसमें 30 करोड. लोगों को वैक्‍सीन दी जाएगी। उसके बाद बाकी लोगों का नंबर आएगा। यह बहुत जटील प्रक्रिया है और इसके लिए 90 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  • फाइजर की वैक्‍सीन की तुलना में कोवीशील्‍ड और कोवैक्सिन बेहतर क्‍यों मानी जा रही है?   

कोवीशील्‍ड और कोवैक्सिन दोनों ही 2 से 5 डिग्री तापमान पर रखी जा सकती है, यानी कि साधरण फ्रिज में रखकर इन्हें कहीं भी भेजा जा सकता है। लेकिन फाइजर की वैक्‍सीन को मायनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए। हमें वैक्‍सीन केवल नगर और महानगर नहीं बल्कि दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाना है।

  • देश में दो वैक्‍सीन को हरी झंडी मिल गई, इस पर आप क्‍या कहेंगे?

डीसीजीआई ने आज कोवीशील्‍ड और कोवैक्सिन को अनुमति दे दी है। हम उन चुनिंदा देशों में हैं जहां वैक्‍सीन बन कर तैयार हो गई है। कोविड वैक्‍सीन बनाने में 5-6 साल लग सकते थे, लेकिन हमने यह दिखा दिया कि हम कंघे से कंघा मिलाकर आगे बढ. रहे हैं। हम मेडिकल के क्षेत्र में बहुत आगे हैं।

  • क्‍या वैक्‍सीन के क्‍लीनिकल ट्रायल के सभी परिणाम आ चुके हैं ?

जब ऑक्‍सफोर्ड और फाइजर की वैक्‍सीन बनना शुरू हुई, तब उसी दौरान हमारे देश की भारत बायोटक ने वैक्‍सीन बनाना शुरू की। अब देखिए लगभग उतने ही समय में स्‍वदेशी वैक्‍सीन भी तैयार है। समय बहुत कम था इसलिए तीसरे फेज के ट्रायल के कुछ परिणाम अभी आने बाकी है। फिलहाल जब तक कोवैक्सिन के सारे परिणाम नहीं आ जाते और उसका डॉक्‍यूमेंटेशन पूरा नहीं हो जाता तब तक उसे इमर्जेंसी के लिए रखा जाएगा।

  • कोवैक्सिन और कोवीशील्‍ड वैक्‍सीन में क्‍या अंतर है?

पहला बडा अंतर है कि एक पूर्ण रूप से स्‍वदेशी वैक्‍सीन है और दूसरी विदेशी कंपनी के साथ बनायी गई है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर बनाया है। इस वैक्‍सीन को पारम्‍परिक विधि से वायरस को इनऐक्टिवेट करने बनाया गया है। वहीं दूसरी वैक्‍सीन ऑक्‍सफोर्ड विश्‍वविद्यालय और एस्‍ट्राजेनेका कंपनी ने बनाई है। इसे वायरस के जीन का प्रयोग कर बनाया गया है। दोनों वैक्‍सीन के लिए करीब 3 से 5 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इन दोनों को साधारण फ्रिज में रखा जा सकता है।

By continuing to use this website, you agree to our cookie policy. Learn more Ok