- युवा भारत के सबसे बड़े संसाधन और सबसे बड़ी पूंजी हैं- राष्ट्रपति।
- विद्यार्थियों का दायित्व केवल अपने लिए एक अच्छा जीवन बनाना नहीं है, समाज और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना भी उनका नैतिक कर्तव्य है- राष्ट्रपति।
झारखंड/राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 28 फरवरी, 2024 को रांची में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि, युवा भारत के सबसे बड़े संसाधन और सबसे बड़ी पूंजी हैं। हमारा देश विश्व की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों में से एक है। भारत की अर्थव्यवस्था आज विश्व में पांचवें स्थान पर है और 2030 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। हमने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में युवाओं के पास न केवल सुनहरे भविष्य को बनाने की अपार संभावनाएं हैं बल्कि साथ ही उनके लिए परिस्थितियां भी अनुकूल हैं।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि, उनका दायित्व केवल अपने लिए एक अच्छा जीवन बनाना नहीं है, समाज और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना भी उनका नैतिक कर्तव्य है। उन्हें आज संकल्प लेना चाहिए कि वे जहां भी काम करेंगे, एक समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करेंगे, एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए काम करेंगे जहां सद्भाव हो और जहां प्रत्येक व्यक्ति का जीवन गौरवपूर्ण हो। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे हमेशा ध्यान रखें कि उनके काम से पिछड़े या वंचित वर्गों के लोगों को लाभ होगा या नहीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह जब भी झारखंड आती हैं तो ऐसा लगता है जैसे वह अपने घर लौट आई हैं। झारखंड के लोगों के साथ, विशेषकर जनजातीय भाइयों और बहनों के साथ उनका संबंध है। जनजातीय जीवन शैली में कई परंपराएं हैं जो अन्य लोगों और समुदायों के जीवन को बेहतर बना सकती हैं। वे प्रकृति के साथ संतुलन में रहते हैं और अगर हम उनकी जीवनशैली और तरीकों से सीख सकते हैं, तो हम ग्लोबल वार्मिंग जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
राष्ट्रपति यह जानकर प्रसन्न हुईं कि झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के इस परिसर को हरित वास्तुकला सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि अध्ययन और अध्यापन के लिए अच्छा वातावरण प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण हितैषी प्रथाओं ने समाज के लिए पर्यावरण संरक्षण की अच्छी मिसाल पेश की है। उन्हें यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि इस विश्वविद्यालय ने स्थानीय भाषा, साहित्य और संगीत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए विशेष केंद्र बनाए हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से जनजातीय समाज की संस्कृति के संरक्षण, अध्ययन और प्रचार के लिए झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय की सराहना की।