- उपराष्ट्रपति ने गुजरात विश्वविद्यालय के 72वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
- उपराष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के एकीकरण में सरदार पटेल की भागीदारी होती तो बाद के मुद्दों से बचने में मदद मिलती।
गुजरात/आज, 19 जनवरी को अहमदाबाद में गुजरात विश्वविद्यालय के 72वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए। उपराष्ट्रपति ने युवा नागरिकों से आग्रह किया कि, वे राजनीतिक तंत्र में अशांति और विघटन को हथियार बनाने वालों को जवाबदेह बनाएं। इस बात पर जोर देते हुए कि समझदार छात्र, लोकतांत्रिक शासन को बहुत प्रभावित कर सकते हैं, श्री धनखड़ ने “संविधान सभा के सदस्यों द्वारा निर्धारित मूल्यों के प्रति जीवंत रहने” के लिए जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी को भी रेखांकित किया।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने युवाओं को नवाचार में संलग्न होने और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने में ‘सबसे आगे’ रहने के लिए प्रोत्साहित किया। उद्योग और व्यापार जगत से इसे सुविधाजनक बनाने का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि उद्योग के अग्रजों को अनुसंधान और विकास के मामले में शैक्षणिक संस्थानों को संभालना चाहिए, ताकि युवा विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के सकारात्मक पहलुओं का उपयोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार हों।
गुजरात को महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों का एकीकरण सरदार पटेल की भागीदारी से हुआ था। संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को अस्थायी प्रावधानों के रूप में संदर्भित करते हुए, जिन्होंने स्थायित्व का रूप ले लिया था, उपराष्ट्रपति ने कहा कि, अगर सरदार पटेल जम्मू और कश्मीर के एकीकरण में भी शामिल होते, तो आगे के मुद्दे पैदा नहीं होते।
विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान, उपराष्ट्रपति ने अटल कलाम एक्सटेंशन रिसर्च एंड इनोवेशन सेंटर का उद्घाटन किया और कहा कि यह केंद्र देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य में “एक तंत्रिका केंद्र और परिवर्तन के केंद्र” के रूप में उभरेगा।
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।