दिल्ली/भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के तहत- मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए सात संयुक्त साइबर समन्वय टीमों (जेसीसीटी) का गठन किया गया है, जो पूरे देश को साइबर अपराध हॉटस्पॉट/बहु-न्यायिक मुद्दों वाले क्षेत्रों पर आधारित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचा बढ़ाने के लिए कवर करती है। 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए नई दिल्ली में आई4सी के एक भाग के रूप में अत्याधुनिक 'राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)' की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में मदद करने के लिए राज्य एलईए को लगभग 8,840 साइबर फोरेंसिक जैसे मोबाइल फोरेंसिक, मेमोरी फोरेंसिक, सीडीआर विश्लेषण आदि में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।
प्रमाणीकरण के साथ-साथ साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए आई4सी के तहत मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, अर्थात् 'साइट्रेन' पोर्टल विकसित किया गया है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 72,800 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और पोर्टल के माध्यम से 50,000 से अधिक प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
गृह मंत्रालय ने' महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी)' योजना के तहत, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की नियुक्ति और एलईए कार्मिक, लोक अभियोजक और न्यायिक अधिकारी के प्रशिक्षण जैसी क्षमता निर्माण के लिए 122.24 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। । अब तक, 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। अब तक, 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) हैदराबाद में स्थापित की गई है। इस प्रयोगशाला की स्थापना साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्य के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता प्रदान करती है, साक्ष्य को संरक्षित करती है और आईटी अधिनियम और साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका विश्लेषण करके टर्नअराउंड समय कम करती है।
बता दें कि, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में 11 अगस्त 2023 को अधिनियमित जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023 (2023 का 18) के तहत आईटी अधिनियम के तहत उल्लंघन के लिए सजा से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। जन विश्वास अधिनियम का उद्देश्य जहां भी संभव हो कारावास की धाराओं को कम करना, या सजा की मात्रा को कम करना या/और व्यापार करने में आसानी को आगे बढ़ाने के लिए अपराध को समझौता योग्य बनाना था, हालांकि, मंत्रालय ने अधिक गंभीर अपराधों के लिए आपराधिक सजा को बरकरार रखा है। ऐसा करने में, साइबर सुरक्षा उपायों और साइबर घटनाओं की प्रतिक्रिया तंत्र को बढ़ाने से संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69बी और 70बी के तहत समान अपराधों की सजा को इन धाराओं के तहत संरेखित किया गया और साइबर सुरक्षा से संबंधित अपराधों को और अधिक निवारक बनाया गया। संबंधित जुर्माना पहले के केवल एक लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। आईटी अधिनियम, 2000 में उक्त संशोधन 30 नवंबर, 2023 से लागू हैं।
यह बात गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।