×
userImage
Hello
 Home
 Dashboard
 Upload News
 My News
 All Category

 Latest News and Popular Story
 News Terms & Condition
 News Copyright Policy
 Privacy Policy
 Cookies Policy
 Login
 Signup

 Home All Category
Friday, Oct 18, 2024,

Article / Special Article / India / Delhi / New Delhi
भारत की समृद्ध विरासत का संरक्षण- सरकार की पहल और सांस्कृतिक पुनरुद्धार

By  AgcnneduNews...
Sun/Jun 25, 2023, 02:36 AM - IST   0    0
  • एक ऐतिहासिक क्षण में, अगस्त 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण जोरों पर है।
  • 24 अप्रैल, 2023 तक, भारतीय मूल के 251 अमूल्य पुरावशेषों को विभिन्न देशों से वापस प्राप्त किया गया है, जिनमें से 238 को 2014 के बाद से वापस लाया गया है। भारत के अमूल्य पुरावशेषों की वापसी देश के सांस्कृतिक खजाने की सुरक्षा और पुनः प्राप्ति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रमाण है।
New Delhi/

भारत अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण देश है। देश में अनेक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल और विरासत स्मारक मौजूद हैं। भारत सरकार ने देश की कालातीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 'विकास भी विरासत भी' के नारे के तहत यह प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के कार्य को अत्यधिक महत्व दिया है।

सभ्यतागत महत्व के उपेक्षित स्थलों का पुनर्विकास करना सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। मई 2023 तक, सरकार द्वारा भारत की प्राचीन सभ्यता की विरासत को संरक्षित करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दर्शाते हुए देश भर में तीर्थ स्थलों को कवर करने वाली 1584.42 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 45 परियोजनाओं को प्रसाद (पीआरएएसएडी) यानी (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान) योजना के तहत अनुमोदित किया गया है।

कई दशकों की उपेक्षा के बाद, भारत के लंबे सभ्यतागत इतिहास वाले विभिन्न स्थलों को संरक्षण, पुनरुद्धार और विकास परियोजनाओं के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और वाराणसी में कई अन्य परियोजनाओं ने शहर की गलियों, घाटों और मंदिर परिसरों को बदल दिया है। इसी तरह, उज्जैन में महाकाल लोक परियोजना और गुवाहाटी में मां कामाख्या कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं से मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने, उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। एक ऐतिहासिक क्षण में, अगस्त 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण जोरों पर है।

एक अन्य उल्लेखनीय प्रयास के तहत 825 किमी लंबी चारधाम सड़क परियोजना है, जो चार पवित्र धामों को निर्बाध बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण और विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी, जिसमें श्री आदि शंकराचार्य की समाधि भी शामिल थी, जो 2013 की विनाशकारी बाढ़ में तबाह हो गई थी। नवंबर 2021 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ में श्री आदि शंकराचार्य की समाधि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया था। इसके अतिरिक्त, गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो रोपवे परियोजनाएं पहुंच को और बढ़ाने और भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार हैं। सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार के समर्पण के एक और उदाहरण में, प्रधानमंत्री ने गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिसमें सोमनाथ प्रोमेनेड, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इसी तरह, करतारपुर कॉरिडोर और एकीकृत चेक पोस्ट का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिससे श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में मत्था टेकना आसान हो गया।

हिमालयी और बौद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना भी सरकार के प्रयासों में विशेष रूप से शामिल है। स्वदेश दर्शन योजना के हिस्से के रूप में, सरकार ने भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले विषयगत सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से 76 परियोजनाएं शुरू की हैं। बौद्ध सर्किट के लिए विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे भक्तों के लिए बेहतर आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित हुआ है। 2021 में, कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया, जिससे महापरिनिर्वाण मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सके। पर्यटन मंत्रालय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में बौद्ध सर्किट के तहत सक्रिय रूप से स्थलों का विकास कर रहा है। इसके अलावा, श्री नरेंद्र मोदी ने मई 2022 में नेपाल के लुंबिनी में तकनीकी रूप से उन्नत भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखी थी, जो बौद्ध विरासत और भारत की सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

पुरावशेषों की वापसी के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला। 24 अप्रैल, 2023 तक, भारतीय मूल के 251 अमूल्य पुरावशेषों को विभिन्न देशों से वापस प्राप्त किया गया है, जिनमें से 238 को 2014 के बाद से वापस लाया गया है। भारत के अमूल्य पुरावशेषों की वापसी देश के सांस्कृतिक खजाने की सुरक्षा और पुनः प्राप्ति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रमाण है।

हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) योजना के तहत 12 विरासत शहरों का विकास एक असाधारण विरासत के संरक्षक के रूप में खुद को स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत प्रभावशाली 40 विश्व विरासत स्थलों का दावा करता है, जिनमें से 32 सांस्कृतिक हैं, 7 प्राकृतिक हैं, और 1 मिश्रित श्रेणी के अंतर्गत है, जो भारत की विरासत की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करता है। पिछले नौ वर्षों में ही विश्व विरासत स्थलों की सूची में 10 नए स्थलों को जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त, भारत की अस्थायी सूची 2014 में शामिल 15 साइटों से बढ़कर 2022 में 52 हो गई है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता और बड़ी संख्या में विदेशी यात्रियों को आकर्षित करने की क्षमता का संकेत है।

भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को महीने भर चलने वाले 'काशी तमिल संगमम' के माध्यम से भी प्रदर्शित किया गया - जो कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का जश्न मनाना, देश के शिक्षण के 2 सबसे महत्वपूर्ण स्थानों फिर से पुष्टि करना और उन्हें खोजना है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से, सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत के विचार को सशक्त रूप से बढ़ावा देती है, जिसका उद्देश्य देश की संस्कृति का जश्न मनाना है। हाल ही में, देश भर के सभी राज्यों के सभी राजभवनों द्वारा राज्य दिवस मनाने का निर्णय भी एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को उजागर करता है।

इन सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और पहलों के माध्यम से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से निर्देशित भारत सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वे देश की समृद्ध संस्कृति के प्रति गहरी जागरूकता और इसकी विरासत को संरक्षित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। सरकार का उद्देश्य भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने की रक्षा और प्रचार करके, भारतीय इतिहास और संस्कृति की वर्तमान और भावी पीढ़ियों की समझ को समृद्ध करना है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या को आकर्षित करने की क्षमता और विरासत स्थलों को पुनर्जीवित करने के चल रहे प्रयासों के साथ, भारत की प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक परंपराएं वैश्विक मंच पर चमकती रहेंगी।

लेखक- नानू भसीन अपर महानिदेशक, ऋतु कटारिया सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय और अपूर्वा महिवाल यंग प्रोफेशनल, अनुसंधान इकाई, पत्र सूचना कार्यालय।

 

By continuing to use this website, you agree to our cookie policy. Learn more Ok